उत्तराखण्डधर्म-कर्म

भक्ति करने के लिए बूढ़ा होने की इंतजार मत करो: अनुपम मुनि

देहरादून 29अगस्त। श्री प्रेमसुख धाम मैं प्रवचन करते हुए,छठे पर्युषण की बधाई देते हुए श्रोता जनों को स्थानकवासी जैन संत लोकमान्य गुरुदेव श्री अनुपम मुनि जी महाराज ने कहा भक्ति के लिए कोई उम्र नहीं होती किसी भी उम्र में हम भक्ति कर सकते हैं परमात्मा के चरणों में समर्पित कर सकते हैं और साधना कर सकते हैं घर बार परिवार छोड़कर के भगवान के भजन में लग सकते है। जब तक बुढ़ापा नहीं आता जब तक रोग ग्रस्त नहीं होता और जब तक मोत नहीं होती तब तक व्यक्ति को धर्म आचरण करते ही रहना चाहिए। भगवान का भजन करना ही चाहिए साधना आराधना करनी ही जाए त्याग तपस्या करते रहना ही चाहिए। जब तक सांस है तब तक साधना आराधना को स्थान देना ही चाहिए। इसी से हमारी आत्मा का कल्याण होता है ।ऐसा प्रसंग आज अंतकृत द्वादसांग में गुरुदेव श्री अनुपम मुनि ने बताया। श्रीएवंता मुनि जी भी भगवान महावीर के चरणों में सिर्फ 5 वर्ष की उम्र में जैन भागवती दीक्षा लेकर संयम पारकर अपनी आत्मा का उद्धार किया अष्ट कर्मों से मुक्त हुए ।सिद्ध शिला पर स्थित हुए मुनि श्री अनुपम मुनि जी महाराज ने कहा की भूल जीवन में हजारों से हो जाती है और अपनी भूल को कबूल कर उस भूल को नहीं दौराना इंसानियत होती हैं, इसे ही संयम कहते हैं, जो संयम का पालन करता है और अपनी भूलों को सुधारता है, वही व्यक्ति साधना के शिखर पर पहुंचता है। और मैं अपने आप को इस पाप से दूर रखता हूं अपने मन को वाणी को और शरीर को पापों से दूर करता हूं शरीर और मन वाणी भावों को पवित्र करता हूं 12 प्रकार के तत्वों से अपने आपको झुकाता हू, अकम्पनाचार्य ने ऐसा ही किया अपनी आत्मा को शुद्ध किया 90 वर्ष तक संयम की परिपालना की और अंत में सल्लेखना के साथ विपुलपर्वत पर मोक्ष प्राप्त किया। जैन संत ने कहा कि आत्मा ही परमात्मा है आत्मा में ही परमात्मा बनने की संभावना है जैसे बीज में वृक्ष बनने की संभावना होती है उसी प्रकार से आत्मा में परमात्मा बनने की संभावना संपूर्ण रूप से होती है जैसे बूंद बूंद से समुंद्र बनता है,ऐसे ही आत्मा से परमात्मा हुआ जाता है आत्मा की परिस्थिति को ही प्रभातम कहा जाता है और ऐसे भाव बचपन युवा और वृद्धावस्था में भी प्राप्त किया जा सकता है उसके लिए ज्ञान दर्शन चरित्र और तब की आराधना और उसकी साधना करने की आवश्यकता है ज्ञान दर्शन चरित्र तप जीवन में कभी भी अपनाया झा सकता है उसके लिए कोई उम्र नहीं होता आज के पावन प्रसंग पर श्रीमान विनोद जैन और सुमन जैन का वर्धमान श्री वर्धमान श्रावक संघ की ओर से और प्रेमसुख धाम के कार्यकर्ताओं की ओर से माल्यार्पण के द्वारा स्वागत सम्मान किया गया । श्री प्रेमसुख धाम की ओर से सभी श्रोता जनों को प्रसाद वितरण किया गया। अंत में गुरुदेव श्री राजेशमुनि जी महाराज ने सभी श्रोता जनों को मंगल पाठ सुनाकर अपना आशीर्वाद दिया

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