उत्तराखण्डधर्म-कर्म

श्री प्रेम सुख धाम में महामृत्युंजय मंत्र जाप जारी।

देहरादून 22जुलाई । गुरु प्रेमसुख धाम लक्ष्मण चौक में स्थित इच्छा पूरक संकटमोचक चमत्कारिक समाधि स्थल में जैन महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हुए गुरुदेव श्री अनुपम मुनि जी महाराज ने श्रोता जनों को संबोधित करते हुए कहाकि आचार्य उमा स्वामी जी महाराज ने संसार के वस्तुओं को जानने के लिए पहचानने के लिए एक सूत्र दिया है। नाम स्थापना द्रव्य भाव, तस्तंयास लौकिक व्यवहार को पर पोस्ट करने के लिए नाम रखा जाता है जय श्री माता पिता ने अपने पुत्र का नाम मिंटू रखा उसका नाम से ही यह जाना जाता है कि यह मिंटू है उसके अर्थ से कोई मतलब नहीं होता गुण अवगुण से भी कोई मतलब नहीं होता सिर्फ परिचय के लिए नाम रखा जाता है इसे नाम निक्षेप कहते हैं जो असली वस्तु की प्रकृति मूर्ति अथवा चित्र हो इसमें असली वस्तु का आरोप किया गया हो या बनाया गया हो वह स्थापना निश्चित है जैसे किसी भगवान का फोटो अथवा मूर्ति और जो अर्थ भाव निक्षेप का पूर्व पूर्व रुपया कुत्तर रूप हो उसकी पूर्व या उत्तर अवस्था रूप हो वह द्रव्य क्षेत्र जैसे एक ऐसा व्यक्ति जो वर्तमान में सेवा कार्य नहीं करता पर या तो वह सेवा कार्य कर चुका है क्या आगे करने वाला है अर्थात जिस अर्थ में शब्द का व्यक्ति या प्रवृत्ति निमित्त बता बराबर घटित हो वह भावनिक से जैसे एक ऐसा व्यक्ति जो सेवक योग्य कार्यकर्ताओं इस प्रकार से वस्तु को जानने के लिए नाम स्थापना द्रव्य भाव से जाने जाते हैं जैन धर्म में जीव अजीव पुण्य पाप आश्रव बंद निर्जरा मोक्षा आदि तत्वों को जानने के लिए यह चार प्रकार की व्यवस्था दी गई है सांसारिक रुप से संसार के सभी वस्तुओं को जानने के लिए संचार सूत्रों की व्यवस्थित रूप से जान हो तो प्रत्येक वस्तु को हम जान सकते हैं इसी प्रकार से 9 तत्ववादी अनेक प्रकार के धर्म तत्वों को भी जाना जा सकता है उस धर्म तत्वों को जानकर उसे अपने जीवन में सरलता से अपनाकर अपने आप का कल्याण किया जा सकता है।
अंत में सभी श्रोता जनों को गुरुदेव श्री राजेश मुनि जी महाराज ने अपने मंगल पाठ से सभी को लाभान्वित किया।

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