देहरादून। उत्तराखंड में मोदी लहर में बहुजन समाज पार्टी ने वापसी की है। जहां एक ओर जनता ने बीजेपी को 47 सीट जिताकर सिरमौर बनाया है, वहीं कांग्रेस 19 सीटों पर सिमट गई है। इस चुनाव में बीएसपी ने दो सीटें जीती हैं। हरिद्वार की मंगलौर और लक्सर सीटों पर बसपा प्रत्याशियों की जीत के साथ ही बसपा विधानसभा में वापसी करने में कामयाब रही है। वहीं राज्य गठन के बाद बीएसपी तीन चुनावों में बड़ी ताकत के रूप में उभरी. 2012 के विधानसभा चुनाव में बसपा 3 विधायकों पर सिमट गई थी। हालांकि बसपा ने किंग मेकर की भूमिका निभाई और कांग्रेस के साथ गठबंधन कर सरकार में शामिल हुई। इस बार लक्सर से मोहम्मद शहजाद और मंगलौर से सरवत करीम अंसारी ने जीत हासिल की है। गौर हो कि बहुजन समाजवादी पार्टी इस बार उत्तर प्रदेश के मुकाबले उत्तराखंड में मजबूत स्थिति में दिखाई दी। उत्तर प्रदेश में जहां बहुजन समाज पार्टी ने 2017 में 19 सीटों पर जीत हासिल की थी, वहीं चार बार यूपी की मुख्यमंत्री बन चुकी मायावती की पार्टी को इस चुनाव में महज 1 सीट से संतोष करना पड़ा है। वहीं दूसरी ओर उत्तराखंड में पार्टी ने 2017 का सूना दूर किया है। पार्टी के दो प्रत्याशी मोदी लहर में भी जीत हासिल करने में कामयाब रहे। वहीं दो सीटों पर जीत के साथ ही उत्तराखंड में बसपा का 2017 का सूनापन भी दूर हो गया। हरिद्वार की मंगलौर और लक्सर सीटों पर बसपा प्रत्याशियों की जीत के साथ ही बसपा उत्तराखंड विधानसभा में वापसी करने में कामयाब रही है। पार्टी प्रत्याशियों की जीत के बाद बसपा में खुशी का माहौल है। प्रत्याशियों ने भाजपा-कांग्रेस के उम्मीदवारों को कड़ी टक्कर देकर हराया है। वहीं उत्तराखंड की बात करें तो बीएसपी को 2002 के विधानसभा चुनाव में सात सीटें मिली थीं। वहीं पार्टी ने 2007 के विधानसभा चुनाव में आठ और 2012 में तीन सीटें जीती थी। 2012 के विधानसभा चुनाव में बसपा 3 विधायकों पर सिमट गई थी और किंग मेकर की भूमिका में आकर कांग्रेस के साथ गठबंधन कर सरकार में शामिल हुई। भगवानपुर से विधायक सुरेंद्र राकेश बसपा कोटे के कैबिनेट मंत्री भी बने। वहीं 2017 विधानसभा में पार्टी राज्य में एक भी सीट नहीं जीत पाई। साथ ही पार्टी का वोट शेयर भी गिर गया। इस बार लक्सर से मोहम्मद शहजाद और मंगलौर से सरवत करीम अंसारी ने जीत हासिल कर सूखा खत्म किया है।