उत्तराखण्ड

सरकार से राहत न मिलने से बस मालिकों ने परमिट किए समर्पण

ऋषिकेश:  कोरोना काल में आर्थिक संकट से जूझ रहे परिवहन व्यवसायियों को सरकार से राहत की बड़ी उम्मीद थी। कैबिनेट की बैठक में इसे लेकर कोई फैसला नहीं लिया गया। मजबूरन यहां की प्रमुख परिवहन कंपनियों के अंतर्गत संचालित होने वाली बसों के मालिकों ने परिवहन कार्यालय जाकर अपने परमिट और अन्य प्रपत्र विभाग को समर्पित कर दिए।

मुख्य परिवहन कंपनी यातायात और पर्यटन विकास सहकारी संघ और टिहरी गढ़वाल मोटर ऑनर्स कारपोरेशन के अंतर्गत संचालित होने वाली बसों के मालिकों ने सोमवार को प्रदेश सरकार के रवैए से नाराज होकर अपने वाहनों के प्रपत्र सहायक संभागीय परिवहन कार्यालय को सौंप दिए। बस मालिक एकत्र होकर एआरटीओ कार्यालय पहुंचे। यातायात कंपनी के अध्यक्ष मनोज ध्यानी ने कहा कि हम सरकार के आदेश का इंतजार कर रहे थे।

वाहन स्वामी के हित में निर्णय ना लेने से सभी वाहन स्वामी आहत हैं। सरकार को इन के हित में निर्णय लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि वाहन स्वामियों ने पिछले कोरोना काल में सरकार को पूर्ण सहयोग किया। कोविड की दूसरी लहर में सरकार की ओर से किराया नहीं बढ़ाया गया, ऊपर से 50 प्रतिशत सवारी की शर्त और लागू कर दी। ऐसी स्थिति में परिवहन व्यवसाई वाहन संचालन की स्थिति में नहीं है।

यातायात कंपनी के उपाध्यक्ष नवीन रमोला ने कहा कि वाहन स्वामी मुख्यमंत्री, सरकार के मंत्रियों के समक्ष सहायता की गुहार लगा चुके हैं। कैबिनेट में प्रस्ताव लाने का भरोसा दिया गया था मगर कोई राहत नहीं मिली है। यदि सरकार दो साल का कर माफ कर देती है।

साथ में किराया वृद्धि करते हुए मालिक, चालक और परिचालक को मुआवजा देती है तो ही बस मालिक वाहनों के संचालन करने की स्थिति में होंगे। इस दौरान बलवीर सिंह रौतेला, प्यार सिंह गुनसोला, भगवान सिंह पंवार आदि भी मौजूद रहे।

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