धर्म-संस्कृति

चढ़ने लगा कुंभ का रंग, पेशवाई के लिए आ गए हाथी-घोड़े, ऊंट और सिंहासन

हरिद्वार:  12 वर्षों पर आयोजित हो रहे कुंभ मेला 2021 को लेकर हरिद्वार शहर के ऊपर धार्मिक रंग चढ़ना शुरू हो गया है। 3 मार्च को कुंभ मेले की सबसे पहली पेशवाई निकलेगी।

पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी की भव्य पेशवाई के लिए अखाड़े की छावनी में जोर-शोर से तैयारियां की जा रही हैं। छावनी में अखाड़े के महंत, महामंडलेश्वर समेत हजारों की तादाद में रमता पंच पेशवाई की तैयारियों में जुटे हुए हैं।

पेशवाई के लिए दूर-दूर से खास रथ, सिंहासन, हाथी ऊंट, घोड़े आदि मंगाए गए हैं। कुंभ मेले में अखाड़े की पेशवाई आकर्षण का प्रमुख केंद्र होता है। लोग 12 साल तक अखाड़ों की पेशवाई का इंतजार करते हैं।

3 मार्च को निकलने वाली निरंजनी अखाड़े की पेशवाई के लिए बड़े पैमाने पर तैयारियां की जा रही हैं। निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रविंद्र पुरी ने बताया कि पेशवाई को भव्य और आकर्षक बनाने के लिए प्रयागराज से चांदी के सिंहासन, भव्य रथ और कई साजों सामान मंगाए गए हैं।

अखाड़े की पेशवाई में उत्तराखंड की संस्कृति की झलक भी देखने को मिलेगी। इसके लिए कई गढ़वाली और कुमाऊंनी कलाकारों की प्रस्तुति को भी पेशवाई में शामिल किया जाएगा। संगीत की धुनों से पेशवाई को सजाने के लिए नासिक से खास बैंड मंगाया गया है यह बैंड पहली बार हरिद्वार में पहुंचा है।

हजारों की संख्या में साधु संत हरिद्वार के एसएमजेएन पीजी कॉलेज में बनी छावनी से निकलकर अखाड़े में प्रवेश करेंगे। कई किलोमीटर लंबी यह यात्रा देखने के लिए लाखों की संख्या में भीड़ उमड़ेगी।

भारत में प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक चार शहरों में हर 12 साल के बाद कुंभ मेले का आयोजन होता है। कुंभ मेले से पहले अखाड़ों के साधु संत दूरदराज से आकर कुंभ नगरियों में अपना डेरा जमा लेते हैं।

सभी अखाड़ों की ओर से दूर-दूर से आए साधु संतों के लिए छावनियां बनाई जाती हैं। जब ये साधु संत छावनी से निकलकर अखाड़े में प्रवेश करते हैं तो उस यात्रा को पेशवाई कहा जाता है।

अखाड़े की पेशवाई एक तरह से धर्म और भारतीय संस्कृति के इतिहास का शक्ति प्रदर्शन होता है। अखाड़ों की स्थापना भारतीय धर्म और संस्कृति के संरक्षण के लिए की गई थी. इसलिए अखाड़ों के साधु संत पेशवाई में तलवार, भाले, गदा, धनुष जैसे अस्त्र शस्त्र लेकर पेशवाईयों में शामिल होते हैं

Related Articles

One Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button