मैत्री भाव जैनत्व के मूल गुणों में =राजेश मुनि
देहरादून आज चतुर्मास के द्वितीय रविवार को श्री प्रेमसुखधाम में प्रवचन करते हुए मुनिश्री ने बताया की आज विश्व मैत्री दिवस मनाया जा रहा है,लेकिन ये पश्चिमी सभ्यता का चलन है,हमारे जैन धर्म में तो प्रतिदिन यह प्रार्थना की जाती है कि मैत्री भाव जगत में मेरा नित्य रहे।हमारे देश में एक परिवार में सब आपस में मैत्री भाव से ही तो रहते है,पिता पुत्र भाई बहन माता पुत्र आपसे सब मित्रवत ही तो रहते है,हमारे देश में हर दिन मैत्री दिवस है,कोई खास दिवस तो पश्चिम वाले ही मानते है। इस अवसर पर महामंत्र नवकार का जाप किया गया उन्होंने कहा की एक यही ऐसा महामंत्र है जिससे सभी मंत्रो की रचना हुई है।इसके जाप से हर प्रकार की मनोकामना पूरी होती है।इस अवसर पर अनेक श्रद्धालु उपस्थित थे। मेरठ सहारनपुर आदि अन्य शहर से भी काफी श्रद्धालु उपस्थित थे, श्री सतीश जैन अमित जैन राजू जैन सुनील जैन बस वाले अशोक जैन कोर्ट वाले श्री प्रवीन जैन सहित भाग्य ज्योति महिला मंडल की समस्त महिलाएं उपस्थित रहे।कार्यक्रम के पश्चात,छत्तीस गढ़ में सिविल जज श्रीअनंत दीप एवम् श्रीमती आस्था जैन के सौजन्य से गुरु प्रसाद का वितरण किया गया।
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