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गुणवत्तापरक शिक्षा को विद्या समीक्षा केन्द्रों की स्थापना जरूरी

एनईपी-2020 पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला का हुआ समापन

देहरादून। उत्तराखंड अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण निदेशालय एवं एससीईआरटी के तत्वावधान में एनईपी-2020 के क्रियान्वयन एवं शैक्षणिक गुणवत्ता संवर्द्धन विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के समापन अवसर पर वक्ताओं ने शिक्षा व्यवस्था के बेहतर प्रबंधन एवं गुणवत्ता को लेकर विद्या समीक्षा केन्द्र की स्थापना को जरूरी बताया।

एनईपी-2020 के क्रियान्वयन एवं शैक्षणिक गुणवत्ता संवर्द्धन विषय पर आयोजित दो दिवसीय सेमीनार के दूसरे दिन अपर सचिव विद्यालयी शिक्षा मेजर (से.नि.) योगेन्द्र सिंह यादव ने कहा कि शिक्षा व्यवस्था को बेतहर बनाने के लिए शिक्षकों से जुड़ी समस्याओं, स्थानांतरण, वरिष्ठता, प्रमोशन आदि के लिए न्यायपूर्ण एवं पारदर्शी व्यवस्था बनानी होगी, ताकि शिक्षक बच्चों के मनोभावों को समक्ष कर उनके प्रति संवेदनशीलता के साथ अपने कार्यों का निर्वहन करेंगे। कार्यशाला में एनआईईपीए (नीपा) नई दिल्ली की सह-प्राध्यापक डॉ. कश्यपी अवस्थी ने विद्यालय नेतृत्व विकास पर अपना प्रस्तुतिकरण दिया। इसके साथ ही बच्चों को चरित्रवान और संस्कारवान बनाने के लिए भी शिक्षा व्यवस्था में सुधार करना होगा। कार्यशाला में उत्तर प्रदेश से आये सीनियर प्रोफेशनल समग्र शिक्षा आनंद पांडेय एवं उप निदेशक पंकज यादव ने अपने राज्य में एनईपी के आलोक में किये जा रहे कार्यों का प्रस्तुतिकरण दिया। कार्यशाला के समापन अवसर पर निदेशक माध्यमिक शिक्षा एवं सीमैट सीमा जौनसारी ने सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि कार्यशाला राज्य में एनईपी-2020 के क्रियान्वयन के लिए तैयार की जाने वाली रणनीति के लिये मील का पत्थर साबित होगी।  इस अवसर पर निदेशक बेसिक शिक्षा वंदना गर्व्याल, अपर निदेशक विद्यालयी शिक्षा आरके उनियाल, बीएस रावत, महावीर सिंह बिष्ट, अजय कुमार नौडियाल, प्रदीप रावत, डीसी गौड़, विनोद सिमल्टी, जितेन्द्र सक्सेना, कंचन देवराड़ी, एकके जुकारिया सहित विभागीय अधिकारी मौजूद रहे।

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एनईपी-2020 के क्रियान्वयन को लेकर शिक्षा विभाग की ओर से आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला में विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधियों की ओर से दिया गया प्रस्तुतिकरण प्रदेश की मजबूत शिक्षा व्यवस्था के लिए उपयोगी साबित होगा। कार्यशाला में प्राप्त सुझावों को शिक्षा व्यवस्था की बेहतरी के लिए उत्तराखंड में लागू किया जाएगा– डॉ. धन सिंह रावत, विद्यालयी शिक्षा मंत्री।

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