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सुप्रिया लाइफसाइंस ने अपनी 5 MWp की नई सोलर फैसिलिटी के साथ प्रगति की राह पर कदम बढ़ाए

देहरादून 23 मार्च । सुप्रिया लाइफसाइंस लिमिटेड cGMP के अनुरूप कारोबार करने वाली कंपनी है, जिसने API निर्माण में दमदार उपस्थिति दर्ज की है। सुप्रिया लाइफसाइंस लिमिटेड ने आज महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले में अत्याधुनिक सुविधाओं वाली (SOTA) अपनी 5 MWp की नई सोलर फैसिलिटी के उद्घाटन के साथ सस्टेनेबिलिटी के अपने संकल्प को और मजबूत किया है। सुप्रिया लाइफसाइंस के अध्यक्ष, डॉ. सतीश वाघ ने इस परियोजना का उद्घाटन किया, और इस मौके पर उन्होंने जोर देकर कहा कि कंपनी नवीकरणीय ऊर्जा के साथ-साथ पर्यावरण की हिफाजत के अपने इरादे पर अटल है।
सुप्रिया लाइफसाइंसेज अपने कारोबार के संचालन के ज़रिये कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के संकल्प पर कायम है, और कंपनी की ये पहल उस चल रहे कार्यक्रम का हिस्सा है। नांदेड़ में इस नई सोलर फैसिलिटी के अलावा, महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में 4.85 MWp की मौजूदा सोलर प्रोजेक्ट्स के साथ कंपनी की कुल स्थापित सौर क्षमता अब 9.85 MWp हो गई है। ये परियोजनाएँ जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को और कम करने के अलावा, बिजली बनाने के लिए अधिक स्वच्छ और अधिक सस्टेनेबल व्यवस्था विकसित करके भारत के जलवायु परिवर्तन संबंधी बड़े उद्देश्यों को पूरा करने में मदद करती हैं।
इस मौके पर सुप्रिया लाइफसाइंस लिमिटेड के अध्यक्ष एवं पूर्णकालिक निदेशक, डॉ. सतीश वाघ ने कहा, “हमने सिर्फ अपने व्यवसाय को ध्यान में रखकर नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने का फैसला नहीं लिया है, बल्कि यह आने वाले कल को हरा-भरा बनाने के लिए हमारा संकल्प भी है। सौर ऊर्जा में हमारा सतत विकास और पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव को कम करने के हमारे विज़न का सबसे अहम हिस्सा है।”
इस नए सोलर प्रोजेक्ट को एनरिच एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड के साथ मिलकर पूरा किया गया है, जो नवीकरणीय ऊर्जा समाधान उपलब्ध कराने में सबसे आगे है। सुप्रिया लाइफसाइंस में सौर ऊर्जा का उपयोग यह दर्शाता है कि, कंपनी धरती की हरियाली के साथ-साथ फार्मास्युटिकल विनिर्माण में ऊर्जा की बचत के लिए एहतियाती कदम उठाने के संकल्प पर कायम है।
फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री की एक बड़ी कंपनी होने के नाते, सुप्रिया लाइफसाइंस ऊर्जा संरक्षण में दुनिया के सबसे बेहतर तौर-तरीकों को अपने कारोबार के संचालन में शामिल करके सस्टेनेबिलिटी की दिशा में सबसे आगे बनी हुई है। भारत सौर ऊर्जा के ज़रिये ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन को काफी हद तक कम करके नवीकरणीय ऊर्जा के अपने बड़े लक्ष्यों को पूरा कर सकता है।

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