महिला से दुर्व्यवहार के आरोपी को हाईकोर्ट ने किया दोषमुक्त
नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने महिला के साथ दुर्व्यवहार करने के आरोप में निचली अदालत से सजा पाए व्यक्ति को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त करार दिया है। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ में हुई।
मामले के अनुसार, टिहरी गढ़वाल निवासी व्यक्ति को विशेष न्यायाधीश पॉक्सो/जिला एवं सत्र न्यायाधीश, टिहरी गढ़वाल ने एक महिला को अपमानित करने, जान से मारने की धमकी देने का दोषी ठहराया था। इस मामले में महिला ने अन्य व्यक्ति जो कि दोषसिद्धि व्यक्ति का भतीजा है, पर मई 2020 में उसकी नाबालिग बेटी के साथ दुष्कर्म का आरोप लगाया था। यह आरोप दोषसिद्धि व्यक्ति पर भी लगाया गया था। लेकिन निचली अदालत से दोषसिद्धि केवल आईपीसी की धारा 504, 506 और 509 में हुई थी।
निचली अदालत के आदेश को चुनौती देती दोषसिद्धि व्यक्ति की अपील की सुनवाई के दौरान, न्यायालय ने पाया कि दोषसिद्धि व्यक्ति के खिलाफ दर्ज गवाहों के बयानों में जबरदस्त विरोधाभास है। पीड़िता की मां ने कहा कि घटना में केवल वह ही घायल हुई थीं और उसका मेडिकल परीक्षण भी नहीं हुआ। जबकि पिता ने कहा कि दोषसिद्धि व्यक्ति और अन्य परिवार के सदस्यों ने उनकी पत्नी को भी पीटा था।
पुलिस कॉन्स्टेबल के अनुसार, शिकायतकर्ता महिला ने केवल आरोपी के माता-पिता द्वारा दुर्व्यवहार किए जाने की सूचना दी थी, जिसमें उसके चाचा (दोषसिद्धि व्यक्ति) का कोई उल्लेख नहीं था। नाबालिग लड़की और उसकी मां को दोषसिद्धि व्यक्ति द्वारा अपमानित किए जाने के बाद लड़की द्वारा जहर (फिनाइल) पिलाने और अस्पताल में भर्ती होने के दावे को भी न्यायालय ने अविश्वसनीय पाया।
अदालत ने पाया कि प्रथम सूचना रिपोर्ट में न तो जहर खाने और न ही अस्पताल में भर्ती होने का उल्लेख था। इसके अलावा लड़की के पिता ने बताया कि पीड़िता के उल्टी वाले कपड़े पुलिस को दिखाए गए थे, लेकिन मेडिकल गवाह ने कहा कि जांच के समय पीड़िता के कपड़ों पर उल्टी का कोई निशान नहीं था।
इन गंभीर विरोधाभासों और गवाहों द्वारा हर चरण पर अपने बयान को बेहतर बनाने की प्रवृत्ति को देखते आरोपी की दोषसिद्धि के आदेश को रद्द कर दिया।

