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शिवरात्रि आज, श्रद्धा व उल्लास से मनाया जाएगा त्यौहार मंदिरों में तैयारियां पूर्ण, रंग-बिरंगी रोशनी से सजाए गए हैं शिवालय मंदिर कमेटियों ने अनिवार्य किया मास्क का प्रयोग

शामली। सावन माह की शिवरात्रि का पर्व आज शुक्रवार को पूरी श्रद्धा, उल्लास एवं भक्ति भावना के साथ मनाया जाएगा। त्यौहार को देखते हुए मंदिरों में भी विशेष तैयारियां शुरू कर दी गयी हैं। शिवालयों को रंग-बिरंगी रोशनी से सजाया गया है। हालांकि मंदिरों में कोरोना गाइडलाइन का पालन करने की भी तैयारियां की गयी हैं, महिलाओं व पुरुषों की अलग-अलग लाइनों के साथ-साथ मास्क का प्रयोग भी अनिवार्य किया गया है, साथ ही सोशल डिस्टेंस के साथ भगवान के जलाभिषेक की व्यवस्था की गयी है। मंदिरों में पुलिसकर्मियों की भी तैनाती की जाएगी।
जानकारी के अनुसार सावन माह की शिवरात्रि का पर्व आज शुक्रवार को भक्ति भावना एवं उल्लास से मनाया जाएगा। शिवरात्रि को देखते हुए मंदिरों में भी विशेष तैयारियां की गयी है, कई मंदिरों को रंग-बिरंगी रोशनी से भी सजाया गया है, साथ ही कोरोना गाइडलाइन का भी ध्यान रखा गया है। पर्व पर जलाभिषेक के लिए आने वाले महिला व पुरुष श्रद्धालुओं के लिए अलग-अलग लाइनों की व्यवस्था की गयी है, साथ ही मास्क का प्रयोग भी अनिवार्य किया गया है, इसके अलावा सोशल डिस्टेंस के साथ ही भगवान के जलाभिषेक की भी व्यवस्था की गयी है। शहर के मंदिर हनुमान टीला हनुमान धाम, सिद्धपीठ मंदिर गुलजारी वाला, मंदिर भाकूवाला, सदाशिव मंदिर रेलपार, शिवमूर्ति सुभाष चौंक, शिव मूर्ति गांधी चौंक, कुटी वाला मंदिर सहित सभी मंदिरों में पर्व को लेकर तैयारियां की जा रही है। हालांकि पर्व के दौरान ज्यादा भीड़-भाड़ न हो, इसके लिए भी मंदिर कमेटियों द्वारा तैयारी की गयी है। भगवान के दर्शन के दौरान ज्यादा भीड़ एकत्र नहीं होने दी जाएगी, साथ ही मास्क लगाना अनिवार्य होगा, जलाभिषेक के दौरान देव प्रतिमाओं को छूने की अनुमति नहीं होगी। मंदिर हनुमान टीला के प्रधान सलिल द्विवेदी ने बताया कि प्रत्येक वर्ष शिवरात्रि पर जलाभिषेक करने वाले भक्तों की तादाद इतनी रहती थी कि नियंत्रित करना मुश्किल हो जाता था लेकिन इस बार कोरोना संकटकाल को देखते हुए ज्यादा श्रद्धालुओं को एक साथ जलाभिषेक की अनुमति नहीं होगी, श्रद्धालुओं को दो गज की दूरी का पालन करना होगा, साथ ही मास्क का प्रयोग अनिवार्य होगा। वहीं माजरा रोड स्थित मंदिर भाकूवाला की बेहद मान्यता है, यहां भी हजारों की संख्या में शिवभक्त कांवडिये व अन्य श्रद्धालु आकर भगवान का जलाभिषेक करते हैं लेकिन इस बार कांवड यात्रा न होने के चलते कावडियें शिवभक्त मंदिर में नहीं पहुंच सके। हालांकि मंदिर को रंग-बिरंगी रोशनी से सजाकर पर्व की पूरी तैयारी कर ली गयी है, महिलाओं व पुरुषों की अलग-अलग लाइन की व्यवस्था की गयी है, साथ ही भक्तों को मास्क लगाना होगा। इसके अलावा कैराना रोड स्थित गुलजारी वाला मंदिर व रेलपार स्थित सदाशिव मंदिर में भी जलाभिषेक की तैयारियां पूर्ण कर ली गयी है। पर्व को देखते हुए मंदिरों में पुलिसकर्मियों की भी तैनाती की जाएगी।
सावन शिवरात्रि मुहूर्तः
सावन मास चतुर्दशी तिथि प्रारंभः 6 अगस्त, शाम 6 बजकर 28 मिनट से
सावन मास चतुर्दशी तिथि समाप्तः 7 अगस्त की शाम 7 बजकर 11 मिनट पर
व्रत पारण का समयः 7 अगस्त, दिन शनिवार की सुबह 5 बजकर 46 मिनट से दोपहर 3 बजकर 45 मिनट तक
गुफाओं के माध्यम से आपस में जुडे हैं चार सिद्धपीठ
भाकूवाला, सदाशिव मंदिर, मनकामेश्वर मंदिर व गुलजारी वाला मंदिर की बडी मान्यता
स्पेस प्रहरी
शामली। महाभारत काल और मराठा संस्कृति की विरासत संजोए हुए शामली जनपद वेस्ट यूपी में आस्था की अनूठी मिसाल पेश करते हैं। यहां मराठा सैनिकों द्वारा बनाए गए चार शिवालय प्राचीन भारतीय संस्कृति के गौरवमयी इतिहास की पहचान है। खास बात यह है कि शामली के यें चार शिवालय कोरोना काल में भी सोशल डिस्टेंसिंग के लिए सुरक्षित हैं। उपलब्ध प्रमाणों के अनुसार मराठा काल में दिल्ली को स्वतंत्र कराने के लिए मराठा सैनिकों ने शामली में पड़ाव डालते हुए यहां पर अपनी सैनिक छावनी बनाई थी। छावनी की सुरक्षा के लिए शहर की चारों दिशाओं में मराठा सैनिक तैनात थे, जिन्होंने शहर के चारों कोनों पर भगवान भोलेनाथ के शिवालयों की भी स्थापना की थी, तो आज भी मौजूद हैं। शामली के यें शिवालय प्राचीन भाकूवाला मंदिर, सदाशिव मंदिर, मनकामेश्वर श्री महादेव मंदिर और गुलजारी वाला मंदिर के रूप में प्रसिद्ध है। यदि मंदिरों की शिल्पकलां को बड़े गौर से देखा जाए, तो यें वर्तमान में सोशल डिस्टेंसिंग के लिए भी सुरक्षित हैं। चारों मंदिरों में मौजूद शिवालय आकार में इतने छोटे हैं कि यहां पर एक समय में सिर्फ एक ही श्रद्धालु प्रवेश कर पूजा कर्म कर सकता है। इन शिवालयों की शिल्पकला भी अपने आप में अनूठी है। मराठाकालीन शिवालयों के बारे में यह बात भी काफी प्रचलित है कि यें चारों शिवालय सुरंग के माध्यम से एक दूसरे से जोड़े गए थे। इन सुरंगों का इस्तेमाल सैनिक एक छोर से दूसरे छोर तक जाने के लिए किया करते थे, जिसके बाद क्रांतिकारियों ने भी अंग्रेजों पर हमले के दौरान इन सुरंगों का इस्तेमाल छिपने और गोरिल्ला युद्ध में किया था।
बारिश से कांवडियों का तन-मन सरोबार
शहर से गुजरे पैदल व डाक कांवडिये
शामली। शिवरात्रि पर भगवान शिव के जलाभिषेक के लिए हरिद्वार से आ रहे शिवभक्त कांवडियों के तन-मन को गुरुवार को हुई तेज बारिश ने सरोबार कर दिया। पैदल चलने वाले कांवडिये बारिश में भीगते हुए भगवान के जयकारे लगाते हुए शहर से होकर निकले वहीं वाहनों पर आ रहे डाक कांवडियों के आने का सिलसिला भी दिन भर जारी रहा। हालांकि इनकी संख्या ज्यादा नहीं रही, इक्का दुक्का डाक कांवडिये ही शहर से निकले।
जानकारी के अनुसार शुक्रवार को सावन माह की शिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। सावन में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए हजारों की संख्या में शिवभक्त कांवडिये हरिद्वार से गंगाजल लेकर पैदल ही अपने-अपने शिवालयों में पहुंचकर भगवान का जलाभिषेक करते हैं लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के चलते कांवड यात्रा पर रोक लगी हुई है लेकिन इसके बावजूद भी इक्का-दुक्का कांवडिये हरिद्वार से गंगाजल लेकर पैदल ही अपने गतंव्यों की ओर बढ़ रहे हैं। गुरुवार की सुबह हुई तेज बारिश के बीच भी पैदल कांवडिये शिव के जयकारे लगाते हुए शहर से गुजरे। तेज बारिश के बीच भीगते हुए कांवडियों का उत्साह भी देखने लायक रहा। वहीं अपने-अपने वाहनों पर आ रहे डाक कांवडिये भी बारिश में भीगते हुए शहर से गुजरे। हालांकि इनकी संख्या ज्यादा नहीं दिखी लेकिन सुबह से लेकर शाम तक दर्जनों कांवडिये शहर से जरूर निकले। कांवडिये शिव चौंक पर भगवान शिव की आराधना करते हुए आगे बढ़ते नजर आए। कांवडिये बड़े वाहन की अपेक्षा बाइकों पर ही नजर आए।
रिर्पोट  :- सिद्धार्थ भारद्वाज प्रभारी उत्तर प्रदेश।

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