उत्तराखण्ड

कैनाइन डिस्टेंपर सक्रमण से 200 से ज्यादा डॉग्स बिमार

नैनीताल। जिले के रामनगर में डॉग्स कैनाइन डिस्टेंपर वायरस तेजी से पैर पसार रहा है। रामनगर पशु चिकित्सालय के डॉ. राजीव कुमार ने बताया कि हाल के दिनों में यह वायरस न सिर्फ पप्पियों, बल्कि 4-5 साल के एडल्ट डॉग्स को भी अपनी चपेट में ले रहा है। डॉ. राजीव के अनुसार, पहले माना जाता था कि कैनाइन डिस्टेंपर सिर्फ छोटे डॉग्स को प्रभावित करता है, लेकिन अब वायरस का पैटर्न बदल चुका है। पिछले एक महीने से रामनगर क्षेत्र में लगातार 4-5 मामले हर दिन सामने आ रहे हैं। वहीं रामनगर में 200 से ज्यादा डॉग्स इस बीमारी से संक्रमित मिले हैं।
पशु चिकित्सक राजीव कुमार ने बताया कि कैनाइन डिस्टेंपर एक वायरल बीमारी है और इसका कोई निश्चित इलाज नहीं है। इसका सिर्फ एक ही उपाय है, समय पर वैक्सीनेशन, शुरुआती लक्षण रेस्पिरेटरी सिस्टम (श्वसन तंत्र) पर असर डालते हैं। बाद में यह गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट (पाचन तंत्र या आहार नली का हिस्सा) और अंत में नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है। कई बार डॉग्स खांसी, बुखार का निशाना बन जाता है। लेकिन तब तक बीमारी अंतिम स्टेज में पहुंच चुकी होती है, जिसके बाद इलाज करना बेहद मुश्किल हो जाता है। इस बीमारी के लक्षण अक्सर रेबीज से मिलते-जुलते हैं, जिससे कई पैट ओनर्स भ्रमित हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि जैसे-तेज बुखार, खांसी, नाक से बहाव, और सबसे गंभीर स्थिति में नर्वस सिस्टम पर असर, इसी भ्रम के चलते लोग कई बार गलत इलाज की ओर रुख करते हैं। जब तक कोई प्रमाणित वेटरनरी डॉक्टर यह पुष्टि ना कर दें कि मामला रेबीज का है या कैनाइन डिस्टेंपर का, तब तक किसी भी नतीजे पर नहीं पहुंचना चाहिए. यह भ्रम सिर्फ पालतू जानवरों के लिए ही नहीं, बल्कि उनके मालिकों के लिए भी तनाव का कारण बनता है.

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