उत्तराखण्डधर्म-कर्म

मनोरंजन नही “मनोभंजन” के लिए होती है भागवत :आचार्य ममगाईं

देहरादून 31 अगस्त। जो कल्पना करे वो देता है भागवत। शिष्य प्रशिष्य की शाखाओ से सुखदेव जी की झोली से जिसे सुखदेव जी ने जूठा किया हो जिसमे अठारह हजार श्लोक आठ और एक नौ होता है जो पूर्णांक हैं,जो ठाकुर श्याम सुंदर की वांगमई मूर्ति, जिसके मूल मे भक्ति की कथा हैं अर्थात मानव जीवन के मूल मे भक्ति होनी चाहिए जो की एक देवता एक धर्म नही पूरे ब्रह्माण्ड के रक्षण करने वाले श्याम सुंदर हैं राधा जो जिसे चौबीस घंटे भगवान अपने उपर पीताम्बर के रूप मे ओढ़ कर रखते हैं कथा यज्ञ भगवत् से पूर्व कलश यात्रा का मतलब पीताम्बर रूप राधा स्वरूप हैं तो जल धारा को उल्टा कर दिया जाये तो राधा हो जाता है सिर पर रखे हुए जल कलश लड्डू गोपाल के रूप मे भगवान का स्नान करना राधा कृष्ण के रूप मे भगवान का मेल करने पर सप्ताह यज्ञ सफल होता है । हार व्यवहार चरित्रिक दोषी को बढ़ावा देने वाला धुंधकारी हैं यह बात ज्योतिष पीठ व्यास आचार्य.शिव प्रसाद मामगाई जी ने नेहरू कलोनी डी ब्लॉक मे कुकरेती परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण मे व्यक्त किये।
कथा से पहले पीले वास्त्रों से सुसज्जित महिलाओ द्वारा शोभा यात्रा निकाली गई, ढोल दामऊ की थाप के साथ शोभा यात्रा कथा पंडाल तक पहुंची इस कथा को सुनने के बाद गौ करण जो की सरल स्वभाव का व्यक्ति माता पिता के साहित समाज के दोषों को दूर करे वह गौ करण हैं । भागवत को भागवत बनाये रखने की प्रार्थना आचार्य ममगाई ने की, मनोरंजन नही मनोभंजन के लिए भागवत होती हैं, जितने श्रोता आते हैं उनके पितृ का भी तारण श्रवण करने से हो जाता है, या उनकी हर मनोरथ सिद्धि होती है गायन मे भी भागवत मे कीर्तन मन को प्रसन्न करता हैं किंतु प्रसंग संबंधित होनी चाहिए स्लोक बद्ध कथा करना श्रवण करने वालो के लिए रक्षा कवच होता है पूजन परायण पाठो का या जप का होना कथा की पूर्ति या उसमे पूर्णता लाने का काम करता है,उत्तराखंड से भगवती गंगा प्रवाहित हुई हैं जिसने पूरे विश्व को अभिशिचित किया इसलिए यहां कथा बोलने का सबका अधिकार हैं योग समाधी से सभी फल प्राप्त होते हैं जो नही प्राप्त होते उसकी पूर्ति भागवत से होती हैं श्रोता वक़्ता कर्ता तीनो पावन होते हैं। कर्ता की श्रद्धा वक़्ता का कर्म श्रोताओ की भावना से श्रीमद्भागवत कथा सफल होती है आदि प्रसंगो पर बोलते हुए आचार्य श्री ने भक्तो को भाव विभोर किया। कथा के मुख्य यजमान गंगा प्रसाद कुकरेती ने कहा की यह कथा दिनांक 31अगस्त से 6 सितंबर तक चलेगी,जिसका समय दो बजे से शाम छ: बजे तक होगा।
इस अवसर पर मुख्य रूप से गंगा प्रसाद कुकरेती राधा कुकरेती मेघा कुकरेती कुशाग्र कुकरेती हरिश कुकरेती राकेश कुकरेती गोपी डिमरी आलोक डिमरी कुसुमलता नौटियाल गोविंद नौटियाल मधुवाला भट्ट प्रभा काला लक्ष्मी जोशी द्वारिका डिमरी हिर्दय डिमरी रमेश पैन्यूली आचार्य संदीप बहुगुणा आचार्य प्रदीप नौटियाल आचार्य भानु प्रसाद मामगईं आचार्य महेंद्र थपलियाल आचार्य हिमांशु मैथानी सुनील नौटियाल आदि भक्त गण भारी संख्या मे उपस्थित थे।।

Related Articles

Back to top button