राजपुर, देहरादून 20 अक्टूबर । श्री आदर्श रामलीला ट्रस्ट राजपुर द्वारा आयोजित 74 वे श्री रामलीला महोत्सव में पांचवे दिन महारानी कैकेई द्वारा राजा दशरथ से उनके पुत्र भरत को राज और राम को चौदह वर्ष का वनवास के दो वरदान का अनुपालन करते हुए राम सीता और लक्ष्मण के साथ वनगमन कर गये । राजा दशरथ ने महामंत्री सुमंत को यह कहकर साथ भेजा कि मेरे राम और लक्ष्मण को वऩो की सैर करवा कर वापस लौटा लाना,जिस आधार पर महामंत्री सुमंत ने राम से वापस लौटने की भारी विनय की। किंतु राम ने कहा कि पिता की आज्ञा का पालन करके पूरे चौदह वर्ष पूर्ण करके ही हम अयोध्या वापस लौटेंगे। हताश निराश और विलाप करता हुआ महामंत्री सुमंत अयोध्या वापस लौट आया। वनगमन के समय नदी पार करने के श्री राम ने मल्लाह केवट से नाव लाने को कहा केवट ने कहा कि प्रभु मैं पहले चरण पखारुंगा फिर नैया पार उतारुंगा। और प्रभु को पार उतारने के बाद केवट ने अपनी मजदूरी भी नहीं ली। हताश निराश महामंत्री सुमंत को बिना राम लक्ष्मण के साथ वापस लौटता देख दशरथ निराश हो गये। भारी दुःख के साथ अयोध्या के राजा दशरथ ने पितृभक् श्रवण कुमार के पिता महात्मा शांतनु का श्राप याद करते करते अपने प्राण त्याग दिए। ‌ श्री आदर्श रामलीला ट्रस्ट के डायरेक्टर श्री शिवदत्त, चरण सिंह तथा योगेश अग्रवाल के प्रभावी निर्देशन में श्री राम वनगमन,राम केवट संवाद लीला तथा राजा दशरथ की देह त्याग की अतिमार्मिक लीला का मंचन कलाकारों द्वारा कर श्रृद्धालु दर्शकों के हृदय पर गहरा प्रभाव पडा।
श्री आदर्श रामलीला ट्रस्ट के संरक्षक जयभगवान साहू, प्रधान योगेश अग्रवाल, मंत्री अंजय गोयल,कोषाध्यक्ष नरेन्द्र अग्रवाल,श्रवण अग्रवाल,वेद साहू,उपमंत्री अशोक साहू, आडिटर ब्रह्मप्रकाश वेदवाल, संजय धीमान,अमन अग्रवाल, डॉ विशाल अग्रवाल, मोहित अग्रवाल,अमन कन्नौजिया, करन कन्नौजिया,निशांत गोयल विभू वेदवाल,आदि के सक्रिय सहयोग से वनवास लीला भारी संख्या में दर्शकों की उपस्थिति में संपन्न हुई।