मामौर में माफिया बेलगाम, यमुना के अस्तित्व से खिलवाड़ – एनजीटी की गाइडलाइन की बेरोकटोक उड़ाई जा रही धज्जियां, प्रतिबंधित पॉर्कलेन मशीनों से चल रहा चीरहरण

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कैराना। यमुना खादर के मामौर में रेत खनन माफिया बेलगाम हो गए हैं। एनजीटी की गाइडलाइन की बेरोकटोक धज्जियां उड़ाकर प्रतिबंधित पॉर्कलेन मशीनों से यमुना से चीरहरण किया जा रहा है। माफियाओं के हौंसले इतने बुलंद हैं कि यमुना की बहती धारा के बीच से रेत निकाली जा रही है। इससे यमुना नदी के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है।
कैराना तहसील क्षेत्र के गांव मामौर यमुना खादर में पांच साल के लिए वैध बालू खनन पट्टा आवंटित है। बरसात में तीन माह खदान बंद रहने के बाद फिर से खनन प्वाइंट शुरू हो चुका है। जहां खनन माफिया एनजीटी की गाइडलाइन की जमकर धज्जियां उड़ा रहे हैं। आलम यह है कि तमाम नियम-कायदों को ताक पर रखकर भारी-भरकम मशीनें यमुना में लगाकर खनन कार्य किया जा रहा है। प्रतिबंधित पॉर्कलेन मशीनों से यमुना नदी की बहती जलधारा के बीच से रेत निकाली जा रही है और फिर वाहनों में भरकर रेत की सप्लाई की जा रही है। इससे प्रतीत होता है कि खनन माफियाओं को न तो एनजीटी की गाइडलाइन का खौफ है और न ही प्रशासन की कार्यवाही का डर। शायद इसीलिए माफिया बेरोकटोक मनमाने ढंग से अपने कार्य को अंजाम दे रहे हैं। मामौर में चल रही खनन माफियाओं की धींगामुश्ती से यमुना नदी का अस्तित्व भी खतरे में पड़ता दिख रहा है।
👉  ऐसे चल रहा खनन का खेल
मामौर खनन प्वाइंट पर माफियाओं की धींगामुश्ती का आलम यह है कि यमुना की बहती जलधारा के बीच से रेत निकाली जा रही है। देखने में आया है कि दो पॉर्कलेन मशीनों को पानी के अंदर से रेत निकालने के लिए लगाया गया है। पहले रेत को पानी से निकालकर किनारे पर डाला जाता है और फिर उसे वाहनों में भरकर ले जाया जाता है। हालांकि, एनजीटी की गाइडलाइन के अनुसार, यमुना नदी की जलधारा से किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है और ना ही पानी के अंदर से रेत निकाल सकते हैं। सवाल उठता है कि आखिर मामौर में खनन माफिया किसके इशारे पर नियम-कायदों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
👉 जुर्माने तक सिमट जाती हैं कार्यवाही
वैध पट्टे की आड़ में मामौर खनन प्वाइंट पर नियम विरूद्ध खनन होता रहा है। जून 2020 में सहारनपुर अपर आयुक्त के नेतृत्व में विशेष टीम ने छापेमारी की थी, तो मामौर खनन प्वाइंट पर भारी अनियमितताएं उजागर हुई थी। उन्होंने मौके पर खदान को बंद करा दिया था। इसके बाद अनियमितताओं के आधार पर लगभग 77 लाख रुपये का जुर्माना भी पट्टाधारक पर अधिरोपित किया गया था। वैसे, जब-तब क्षेत्र में रेत के ओवरलोड वाहन पकड़े गए हैं, उनमें पट्टाधारक के साथ-साथ वाहन चालक व स्वामी के विरूद्ध संबंधित धाराओं में मुकदमे दर्ज होते हैं लेकिन, खनन प्वाइंट पर अनियमितताएं पाए जाने पर कार्यवाही जुर्माने तक ही सिमट जाती है। यदि इसमें भी अग्रिम कार्यवाही अमल में लाई जाए, तो शायद खनन माफियाओं के हौंसले पस्त हो जाए।
👉 खनन के खेल में नप चुकी हैं खनन इंस्पेक्टर
जिले में देखें तो बड़े पैमाने पर खनन का खेल चलता है। इसमें अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल भी उठते रहे हैं। पिछले दिनों में जिले में तैनात खनन इंस्पेक्टर रंजना सिंह पर गाज गिरी थी तथा उन्हें हटा दिया गया था। इसके बाद से जिले में खनन इंस्पेक्टर वशिष्ठ यादव की तैनाती चल रही है। देखना यह है कि खनन इंस्पेक्टर वैध तरीके से खनन करा पाते हैं या नहीं। यह तो आने वाला समय ही बताएगा। दूसरी ओर, इस संबंध में उपजिलाधिकारी से बातचीत करने का प्रयास किया गया लेकिन, उनके मीटिंग में होने के कारण संपर्क नहीं हो सका।
रिपोर्ट :- सिद्धार्थ भारद्वाज प्रभारी जनपद शामली उत्तर प्रदेश