कांवड़ यात्रा पर चैतरफा पसोपेश

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देहरादून। स्थिति यह है कि उत्तर प्रदेश ने इस साल 25 जुलाई से कांवड़ यात्रा शुरू करने की अनुमति दे दी है, लेकिन उत्तराखंड ने इस यात्रा को रद्द करने का फैसला किया है। इस मुद्दे पर हंगामा बरपा है, क्योंकि कुछ मुद्दे उलझ गए हैं। पहली बात यही है कि दोनों राज्यों में बीजेपी सरकार होने के बाद अलग फैसले क्यों। दूसरी बात यह है कि पहले भी उत्तराखंड सीएम पुष्कर सिंह धामी से बात कर चुके उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने दोबारा फोन कर गुजारिश की। तीसरी बात यह है कि उत्तराखंड भले ही कांवड़ियों को एंट्री न देने का फैसला कर चुका है, लेकिन श्रद्धालुओं तक गंगाजल पहुंचाने की कवायद कर रहा है। वहीं, इस पूरे परिदृश्य में सुप्रीम कोर्ट और महंतों की प्रतिक्रिया का एंगल भी जुड़ चुका है। बीते मंगलवार को सीएम धामी ने कांवड़ यात्रा न आयोजित करने संबंधी फैसला लिया था। जबकि उत्तर प्रदेश इस यात्रा को कोविड प्रोटोकॉल के साथ मंजूरी दे चुका है। सूत्रों के हवाले से खबरों में कहा जा रहा है कि सीएम योगी ने एक बार फिर धामी को फोन किया और अनुरोध किया कि सीमित संख्या में ही सही, कांवड़ियों के हरिद्वार पहुंच पाने की कुछ तो सूरत निकाली जाए। यहां गौरतलब बात यह है कि दोनों ही राज्यों में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। धामी अब योगी की गुजारिश पर क्या कदम उठाएंगे, यह तो बाद में पता चलेगा। लेकिन इस पूरी कवायद के बीच हरिद्वार के जिला मजिस्ट्रेट सी रविशंकर ने एक बड़ा ऐलान किया है। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक रविशंकर ने कहा, श्हम डाक से श्रद्धालुओं तक गंगाजल पहुंचाने का इंतजाम कर रहे हैं। यही नहीं, पड़ोसी राज्यों के प्रशासन के साथ बातचीत कर रहे हैं और ज्यादा भीड़ से बचने के विकल्प के तौर पर टैंकरों से भी गंगाजल की सप्लाई करने की योजना बन रही है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को स्वतः संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र को नोटिस जारी कर इस मामले में जवाब मांगा है। 16 जुलाई को अगली सुनवाई होगी, ​तब तक उप्र को बताना है कि कोविड के संकट के बीच इस यात्रा का फैसला क्यों लिया गया है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने उत्तराखंड के सीएम को चिट्ठी लिखकर अनुरोध किया था कि कांवड़ यात्रा को मंजूरी न दी जाएं ताकि राज्य और देश को कोविड के कहर से सुरक्षित रखा जा सके। उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश जब दोनों ही भाजपा सरकारों वाले राज्य हैं, तो एक ही मुद्दे पर अलग फैसले क्यों लिये गए। इस सवाल पर यूपी के मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि राज्यों की नीतियां अलग हो सकती हैं। यूपी में जनसंख्या भले ही ज्यादा है, लेकिन यहां रोज नए केसों की संख्या 90 से भी कम है और वैक्सीनेशन तो जारी है ही। सभी राज्य अपने फैसले करने के लिए आजाद हैं और यूपी अपने फैसले खुद ले सकता है.श् सिंह ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट में उपयुक्त जवाब दाखिल किया जाएगा।

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