इंटरपोल की चेतावनी: कोरोना काल के चलते बढ़ सकता हैं फिरौती के लिए साइबर अपराध

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दुनिया भर की सुरक्षा एजेंसियों को किया आगाह

देहरादून:  इंटरपोल से मिली चेतावनी के अनुसार कोरोना काल के दौरान साइबर अपराधों में अत्यधिक बढ़ोतरी हुई है। आगे इसकी और ज्यादा बढ़ने की संभावना है। दुनिया भर से मिली शिकायतों के आधार पर पिछले दिनों इंटरपोल ने विभिन्न देशों की सुरक्षा एजेंसियों को आगाह किया है, कि वे इससे निपटने के लिए उचित तैयारी के साथ उपायों पर गौर करें।

सुरक्षा एजेंसियों द्वारा विभिन्न देशों से संकलित की गई रिपोर्ट के आधार पर आशंका जताई गई है कि करीब 24 बिलियन डॉलर हर साल साइबर अपराध से बचने के लिए हैकर्स को फिरौती के रुप में दी जाती है। डेटा डिलीट करने और हैक किए गए डेटा को सुरक्षित करने के एवज में हैकर्स कंपनियों से मोटी रकम वसूलते हैं। चीन, ईरान आदि देशों में सबसे अधिक हैकर्स हैं। अमेरिका, यूरोप और भारत सहित कई देश बढ़ते साइबर अपराध से प्रभावित हो रहे हैं।निजी संस्थाओं द्वारा डेटा चोरी से निपटने के लिए फिरौती देकर बचने की प्रवृत्ति को रोकने पर भी जोर दिया जा रहा है।

सुरक्षा एजेंसी से जुड़े सूत्रों के अनुसार, वैश्विक स्तर पर व्यावसायिक लीडर्स को ऑफलाइन बैकअप बढ़ाने, साइबर कमजोरियों के परीक्षण के लिए पेशेवरों को नियुक्त करने के लिए मुख्य रूप से आगाह किया जा गया है। कंपनियों से अपेक्षा की गई है कि, वे सुनिश्चित करें कि सभी कर्मचारी अपने सिस्टम और डेटा को सुरक्षित करने के लिए साइबर.जागरूक हैं। सूत्रों के द्वारा यह भी कहा गया कि दुनिया भर के देशों के बीच साइबर अपराध से निपटने की साझा रणनीति पर काम करने, और तकनीकी साझा करने पर जोर दिया जा रहा है।

सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि फिरौती के भुगतान के खिलाफ कानूनों को सार्वजनिक रूप से बढ़ावा देने और लागू करने की जरूरत है। सूत्रों का कहना है कि जो लोग हैकर्स को फिरौती देते हैं, वे उनके कार्यों की आपराधिक प्रकृति से अनभिज्ञ हो सकते हैं, इसलिए उन्हें भी जागरूक करने की जरूरत है।

सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि अर्थव्यवस्था तेजी से डिजीटल हो गई है। अधिक डेटा ऑनलाइन साझा किया जा रहा है। इंटरनेट पर जितने अधिक लेनदेन किए जा रहे हैं उतने ही नए तरीके के डेटा साझा किए जा रहे हैं। यह भी संभावना जताई गई है कि डेटा विभिन्न उपकरणों और असुरक्षित घरेलू नेटवर्क में फैला हुआ है। इसके लिए भी सुरक्षित योजना बनाने की जरूरत है।