डॉ.अंकिता चौहान:कोटद्वार (उत्तराखंड) की बेटी, अब पेरिस में शोधकर्ता
कोटद्वार। वर्तमान
दौर में जब पूरी दुनिया 5जी से आगे बढ़कर 6जी तकनीक की ओर कदम बढ़ा रही है, ऐसे समय में भारत की युवा शोधकर्ता डॉ. अंकिता चौहान ने अपने शोध कार्य और उपलब्धियों से देश का नाम रोशन किया है। हाल ही में उन्हें आईआईटी रुड़की में उत्कृष्ट डॉक्टोरल शोध कार्य के लिए “Excellence in Doctoral Research Award” से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उनके लंबे शोध-सफर और योगदान की उच्चतम मान्यता है।
डॉ. अंकिता चौहान ने इलेक्ट्रॉनिक्स एवं संचार अभियांत्रिकी (Electronics & Communication Engineering) में पीएच.डी. की है। उनका शोध कार्य मुख्य रूप से नॉन-ऑर्थोगोनल मल्टीपल एक्सेस (NOMA), रीकंफिगरेबल इंटेलिजेंट सरफेस (RIS), मल्टी-कैरियर नॉमा और मल्टी-डायमेंशनल नॉमा जैसी अत्याधुनिक तकनीकों पर केंद्रित रहा। ये सभी तकनीकें आने वाले 6जी नेटवर्क की आधारशिला मानी जा रही हैं।
शोध कार्य से पहले भी अंकिता का शैक्षणिक सफर बेहद प्रेरणादायक रहा है। 12वीं कक्षा में उन्होंने बालिका वर्ग में उत्तराखंड राज्य में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया था। उनके पिता श्री देवेंद्र सिंह का कहना है कि “अंकिता को शुरू से ही तकनीकी कार्यों में रुचि रही है और उसे नए-नए चुनौतियाँ लेना बेहद पसंद है।” यही जिज्ञासा और जज़्बा आगे चलकर उनके शोध कार्यों में भी स्पष्ट दिखाई देता है।
अपने पीएच.डी. शोध में उन्होंने ऐसे ढाँचे विकसित किए जो कम जटिलता वाले, त्रुटि-रोधी और ऊर्जा-कुशल हैं। इनसे न केवल नेटवर्क की क्षमता और कवरेज बढ़ती है, बल्कि औद्योगिक IoT, स्मार्ट सिटी, ड्रोन कम्युनिकेशन और आपदा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में भी बड़े बदलाव संभव हैं।
उनकी प्रतिभा और मेहनत को पहचान मिली जब उन्हें प्रतिष्ठित SERB-Overseas Visiting Doctoral Fellowship (OVDF) के अंतर्गत एक वर्ष के लिए कनाडा की यूनिवर्सिटी ऑफ अल्बर्टा में शोध का अवसर मिला। इस दौरान उनका एक शोधपत्र अंतरराष्ट्रीय पत्रिका में प्रकाशित हुआ और एक अन्य शोधपत्र प्रकाशन हेतु समीक्षाधीन है।
आज डॉ. अंकिता चौहान अपने करियर को नई ऊँचाइयों पर ले जाते हुए पेरिस में शोधकर्ता के पद पर कार्यरत हैं। यह उपलब्धि न केवल उनकी व्यक्तिगत मेहनत और लगन का परिणाम है बल्कि भारत और विशेषकर उत्तराखंड के लिए गर्व की बात है।
डॉ. अंकिता चौहान का योगदान केवल शोध तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजित प्रतिष्ठित सम्मेलनों में तकनीकी प्रोग्राम समिति की सदस्य के रूप में सक्रिय भूमिका निभाई और कई नामी IEEE जर्नल्स में शोधपत्रों की समीक्षा भी की।
अपने करियर की शुरुआती अवस्था में ही इतने व्यापक योगदान के लिए उन्हें न केवल शैक्षणिक जगत में सराहा गया है बल्कि वे युवा शोधकर्ताओं और विद्यार्थियों के लिए प्रेरणा स्रोत भी बन गई हैं।
डॉ.चौहान की उपलब्धियाँ इस बात का प्रमाण हैं कि भारतीय युवा शोधकर्ता वैश्विक शोध समुदाय में अपनी अलग पहचान बनाने में सक्षम हैं। उनका सपना है कि वे भारत की 6जी पहल में सक्रिय योगदान देकर देश को तकनीकी दृष्टि से आत्मनिर्भर बनाएँ। *उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने गुरुजनों के साथ-साथ अपनी माता निर्मला देवी ,अपने पिता श्री देवेंद्र सिंह चौहान (1993 से सरस्वती विद्या मंदिर कोटद्वार में कार्यरत) एवं अपने भाई सुशांत प्रताप सिंह* को दिया है ।