उत्तराखण्डराजनीति

निर्वाचन आयोग पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती – प्रदेश सरकार और निर्वाचन आयोग जवाब दें: गरिमा

देहरादून। उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा राज्य निर्वाचन आयोग की कार्यप्रणाली को लेकर दिखाई गई सख्ती और ₹2,00,000 (दो लाख रुपये) का जुर्माना लगाया जाना अपने आप में अभूतपूर्व है। यह प्रदेश की धामी सरकार और निर्वाचन आयोग की पोल खोलने वाला निर्णय है।

दसौनी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी का स्पष्ट मत है कि यह जुर्माना जनता के टैक्स के पैसे से नहीं, बल्कि राज्य निर्वाचन आयोग में बैठे अधिकारियों की तनख्वाह से वसूला जाना चाहिए।

उन्होंने इसे ऐतिहासिक फैसला बताते हुए कहा कि इससे पहले किसी भी राज्य निर्वाचन आयोग पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस प्रकार का जुर्माना नहीं लगाया गया था। पहली बार उत्तराखंड में यह दंड निर्धारित किया गया है, जो आयोग की पक्षपातपूर्ण और लापरवाह कार्यशैली को उजागर करता है।

गरिमा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी कि आयोग का आदेश क़ानून के विपरीत था, लोकतंत्र की जड़ों को हिला देने वाली बात है।

कांग्रेस प्रवक्ता ने सवाल उठाया कि पंचायती राज सचिव इस पूरे मामले पर क्या रुख अपनाएंगे? क्या वे आयोग की इस लापरवाही और असंवैधानिक आदेश पर चुप्पी साधे रहेंगे या जनता के सामने सच्चाई रखेंगे?

कांग्रेस की मांग है कि राज्य निर्वाचन आयोग में बैठे सभी अधिकारियों की तत्काल छुट्टी की जाए, ताकि लोकतंत्र पर जनता का विश्वास बहाल हो सके।

दसौनी ने सवाल किया कि आखिर निर्वाचन आयोग किसके दबाव में काम कर रहा है? चुनावी प्रक्रिया में लगातार हो रही गड़बड़ियों का जिम्मेदार कौन है? क्या सरकार और आयोग को लोकतंत्र को बचाने की कोई चिंता है?

कांग्रेस पार्टी ने प्रदेश सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग से तत्काल सार्वजनिक स्पष्टीकरण देने और दोषी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है।

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