यू.टी.यु.सॉफ्टवेयर घोटाले पर शासन की रिपोर्ट को तुरंत लागु करे सरकार

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कुलपति डॉ.ओमकार सिंह एवं परीक्षा नियंत्रक डॉ. वी.के पटेल एवम डायरेक्टर इंजीनियरिंग कॉलेज, गोपेश्वर अमित अग्रवाल कर रहे सबूतों से छेड़छाड़।

देहरादून 12 मार्च। वीर माधो सिंह भडारी उत्तराखंड तकनीकी विश्विद्यालय में चल रहे फ़र्ज़ी डिग्री जाँच प्रकरण, भ्रस्टाचार, वित्तीय अनिमिताओ की शिकायतो को लेकर डी.ए.वी. छात्र संघ अध्यक्ष सिद्धार्थ अग्रवाल के नेतृत्व में कई छात्र पिछले दो सप्ताह से संघर्षरत है।शासन की समिति पहले ही वाईस चांसलर डॉ. ओमकार सिंह द्वारा अपने गृह जनपद के निकट सम्बन्धी इ.आर.पी. कंपनी को करोडो रु दिलवाने में सांठ गांठ एवं मिली भगत की भी पुष्टि कर चुकी है ! जिसके तुरंत बाद से डॉ. ओमकार सिंह पुनः प्रभाव के आधार पर मामले को रफा दफा करने में जुट गए है एवं खुल कर अपने इ.आर.पी. के साथ खड़े हो गए है ।इस पर छात्रों का गुस्सा फूट पड़ा है ।
डी.ए.वी. छात्र संघ अध्यक्ष सिद्धार्थ अग्रवाल के नेतृत्व में एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने बच्चो की निरंतर शिकायते एवं शासन की रिपोर्ट के आधार पर पुनः मांग की :-
1). शासन की समिति की रिपोर्ट के आधार पर कुलपति डॉ. ओमकार सिंह एवं परीक्षा नियंत्रक डॉ. वी. के पटेल को तुरंत बर्ख़ास्त किया जाये ! शासन की स्पष्ट रिपोर्ट के बाद उनका एक दिन भी विश्विद्यालय में रहना सबूतों को मिटाने एवं अपने प्रभाव के आधार पर मामले को रफा दफा करने में ही लग रहा है ! जो व्यापक छात्र हितो पर कुठाराघात होगा ।
2). शासन की समिति की रिपोर्ट में उल्लेखित विश्विद्यालय के 6 करोडो रु के घालमेल की रिकवरी हेतु तुरंत कदम उठाये जाये । कुलपति डॉ. ओमकार सिंह एवं परीक्षा नियंत्रक डॉ. वी. के पटेल एवम डायरेक्टर इंजीनियरिंग कॉलेज,गोपेश्वर अमित अग्रवाल एवं अन्य संलिप्त अधिकारियों के विरुद्ध ई.डी. की भी मदद ली जाये।
3). अमित अग्रवाल जो की इंजीनियरिंग कॉलेज,गोपेश्वर के डायरेक्टर हैं, उनकी एक दिन में ही दो डिग्री जारी हुई हैं, जो की क़ानूनी अपराध है।ऐसे व्यक्ति को इतने जिम्मेदार पद से तुरंत पदमुक्त किया जाये एवम इनपे उचित कानूनी कार्यवाही की जाये।
4). शासन की समिति की रिपोर्ट में उल्लेखित निर्देश के अनुसार वर्तमान इ.आर.पी. तुरंत बंद किया जाये एवं निर्धारित प्रक्रिया के तहत तकनीकी समिति बनाकर केंद्र सरकार द्वारा निशुल्क प्रदान किया जा रहा समर्थ पोर्टल बतौर इ.आर.पी. तकनीकी विश्विद्यालय में लागु किया जाये ।
5). वर्तमान में गलत तरीके से चल रहे घर बैठे ऑनलाइन मूल्याङ्कन को तुरंत बंद करके गोपनीय रूप से मूल्याङ्कन केन्द्रो पर मूल्याङ्कन दिन में पूर्ण गोपनीय एवं पारदर्शी तरीके से कराया जाये ।
6). विश्विद्यालय द्वारा अभी तक पिछली परीक्षा का भुगतान शिक्षकों को नहीं किया गया है जिसकी वजह से वर्तमान मूल्याङ्कन में ज्यादातर शिक्षक रूचि नहीं ले रहे है, ऐसे में रिजल्ट घोषित होने में देरी हो रही है ।शिक्षको को तुरंत उनके पिछले मूल्याङ्कन एवं परीक्षा ड्यूटी का पैसा दिया जाये। पारदर्शी तरीके से केवल सीनियर अद्यापको को ही परीक्षक नियुक्त किया जाये ।
7). वर्तमान इ.आर.पी. लागु होने के बाद से 2022 से लेकर अब तक हुए ऑनलाइन मूल्याङ्कन से काफी बड़ी संख्या में छात्र असंतुष्ट है एवं उनसे पुनर्मूल्यांकन के नाम पर 3000 रुपये लिए जा रहे है फिर भी उनको सही से!संतुष्ट नहीं किया जा रहा है ।
अत: विश्विद्यालय समाचार पत्रों के माध्यम से नोटिस निकालकर 2022 से लेकर अब तक हुए ऑनलाइन मूल्याङ्कन के सम्बन्ध में छात्र छात्राओं से उनके असन्तुस्टि आवेदन मांगे ! एवं प्रति सप्ताह निःशुल्क कैंप लगाकर सभी छात्रों से उनकी मूल्याङ्कन से जुड़ी शिकायत को सुने एवं उनको पूर्णतः संतुष्ठ करे।
8). वर्तमान इ.आर.पी. लागु होने के बाद से काफी छात्र बैक पेपर समय से नहीं भर पाए एवं अब डिग्री पूरा करने का समय भी पूरा हो गया है, जिनमे से काफी मामले कोर्ट में चले गए है एवं कुछ छात्रों ने आत्म हत्या जैसा क़दम भी उठाने का मन बनाया है, ऐसे प्रकरणों को सवेदनशीलता के साथ लिया जाये एवं सार्वजनिक नोटिस निकाल कर विश्विद्यालय ऐसे सभी छात्रों को एक वर्ष का विशेष अतिरिक्त समय डिग्री पूरा करने को दे एवं उनको आगामी एक वर्ष तक होने वाली बैक परीक्षाओ में सम्मलित करने का विशेष अवसर दे !
9). संबध्ता विशेषज्ञो के नाम से संस्थानों से प्रति विशेषज्ञ Rs 20,000/- लिए जाते है परन्तु विश्विद्यालय केवल रु 5000 ही विशेषज्ञो को देता है, इस तरह की लुटमार बंद हो ।
डी.ए. वी. छात्र संघ अध्यक्ष सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा कि छात्रों के हितो से कोई भी खिलवाड़ नहीं होने दिया जायेगा ।उपरोक्त बिन्दुओ पर शीघ्र कार्यवाही न होने पर व्यापक स्तर पर पुनः सभी छात्र आन्दोलन करने को मजबूर होंगे जिसकी समस्त जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।