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भूस्खलन की दृष्टि से अत्यधिक संवेदनशील है राज्य

विश्व स्तरीय यूएलएमएमसी तैयार करने की जरूरत: डॉ. संधु

देहरादून। मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु ने कहा कि उत्तराखंड भूस्खलन की दृष्टि से अत्यधिक संवेदनशील होने के कारण इस भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र की महत्ता बहुत अधिक बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि यूएलएमएमसी को इस स्तर का केंद्र बनाना है कि यह केंद्र सिर्फ प्रदेश ही नहीं बल्कि देश व विश्व के लिए कार्य करे।

मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु की अध्यक्षता में शुक्रवार को सचिवालय में उत्तराखंड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र की सामान्य निकाय को बैठक आयोजित हुई। मुख्य सचिव ने कहा कि प्रथम चरण में यह केंद्र प्रदेश में जहां से भी भूस्खलन और भू-धंसाव की शिकायतें आ रही हैं, उन क्षेत्रों में जाकर अध्ययन शुरू करे। उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालयों को इन क्षेत्रों में शोध कार्य के लिए प्रोत्साहित किया जाए। मुख्य सचिव ने कहा कि भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में किए जा रहे अध्ययन कार्यों में आसपास के इंजीनियरिंग संस्थानों के छात्रों को भी शामिल किया जाए, इससे छात्र इस क्षेत्र में प्रयोगात्मक अनुभव प्राप्त कर सकेंगे। इसके साथ ही स्थानीय लोगों की सहभागिता भी सुनिश्चित की जाए। मुख्य सचिव ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर के अन्य संस्थानों से आपसी तालमेल के साथ कार्य किया जाए। उन्होंने कहा कि किसी भी भूस्खलन क्षेत्र के ट्रीटमेंट के लिए अल्पकालिक और दीर्घकालिक योजनाएं तैयार की जाएं। इस अवसर पर प्रमुख सचिव आर के सुधांशु, सचिव रंजीत कुमार सिन्हा, दीपेन्द्र कुमार चौधरी, अपर सचिव रंजना राजगुरु एवं निदेशक यूएलएमएमसी डॉ. शांतनु सरकार सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।

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