उत्तराखण्ड

फायर सीजन के बाद भी धधक रहे उत्तराखण्ड के जंगल वन विभाग ने छुट्टियों पर लगाई रोक

अक्टूबर से अब तक आग लगने की हुई 97 घटनाएं

दीपावली पर भी फील्ड कर्मचारियों को नहीं मिली छुट्टी
डीएफओ को फोन रखना होगा आन

  
देहरादून:  उत्तराखंड में सर्दियों के सीजन में जंगल आग से धधक रहे हैं। अक्टूबर नवंबर के डेढ़ महीने में ही इस साल फरवरी से जून तक चले फायर सीजन के रिकॉर्ड टूटने वाला है। बेमौसम इस आग ने फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के पसीने छुड़ा दिए हैं। वन विभाग प्रमुख रंजना काला ने गुरुवार को एक आदेश जारी कर दीपावली तक फील्ड स्तर के सभी कर्मचारियों और अधिकारियों की छुटटी पर रोक लगा दी है। दीपावली के दौरान किसी भी तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेने पर भी रोक लगा दी गई है। डीएफओ को भी कड़े निर्देश जारी किए गए हैं। इस दौरान डीएफओ भी छुटटी पर नहीं जा सकेंगे। डीएफओ को कहा गया है कि वह हर हाल में अपना मोबाइल फोन ऑन रखेंगे।

बता दें कि उत्तराखंड में 15 फरवरी से 15 जून तक फायर सीजन माना जाता है। फरवरी में सर्दियों की विदाई के बाद गर्मियों की शुरुआत होती है और तापमान बढ़ने के साथ जंगल धधकने लगते हैं। जून में मानसून सीजन शुरू होने के बाद मान लिया जाता है कि फॉरेस्ट फायर अगले साल फरवरी तक छुट्टी पर चली गई है। फॉरेस्ट डिपार्टमेंट इसी हिसाब से अपनी पॉलिसी तय करता है।

लेकिन, इस बार अक्टूबर से ही जंगल आग की चपेट में हैं। अभी तक आग लगने की 97 घटनाएं हो चुकी हैं और 140 हेक्टेयर क्षेत्रफल में जंगल आग की चपेट में आए चुके हैं। इनमें गढ़वाल में सबसे अधिक 73, तो कुमाऊं में आग लगने की 24 घटनाएं हुई हैं। फरवरी से जून तक फायर सीजन के चार महीनों में आग लगने की कुल 135 घटनाएं हुई थीं और कुल 172 हेक्टेयर क्षेत्रफल में जंगल आग की चपेट में आए थे। ये बीते सालों में अब तक का सबसे कम आंकड़ा था।

Related Articles

Back to top button