“बांसुरी बहनों” के वाद्य भारतीय बांसुरी संगीत से विरासत महफिल हुई बाग-बाग
दोनों बहनों" की बांसुरी में शुभ महाराज के तबले ने संगत देकर मचा दी धूम

देहरादून 17 अक्टूबर । देबोप्रिया और सुचिस्मिता चटर्जी बहनों का आज विरासत की चौदहवीं संध्या की महफिल में वाद्य भारतीय बांसुरी संगीत की बेहतरीन मधुर गूंज रही I दोनों बहनों ने अपने सुर राग और वाद्य की मधुरता की आकर्षक प्रस्तुति देकर महफिल को अपना दीवाना बना लिया I दोनों बहनों की बांसुरी बजाकर दी गई शानदार प्रस्तुति में तबले पर पंडित शुभ महाराज की संगत का अद्भुत जादू भी देखने और सुनने को मिला I
देबोप्रिया चटर्जी और सुचिस्मिता चटर्जी जन्म से बहनें हैं, जिन्हें “बांसुरी बहनें” के नाम से जाना जाता है। वे भारतीय हिंदुस्तानी संगीत कलाकार हैं, जो वाद्य भारतीय बांसुरी संगीत बजाती हैं। इलाहाबाद के एक प्रसिद्ध संगीतकार परिवार में जन्मी चटर्जी बहनों को उनके माता-पिता रॉबिन और कृष्णा चटर्जी, जो शास्त्रीय हिंदुस्तानी गायक थे, ने बांसुरी सीखने के लिए प्रेरित किया। बहनों ने पंडित भोलानाथ प्रसन्ना के मार्गदर्शन में बांसुरी का प्रशिक्षण शुरू किया। किशोरावस्था में उन्होंने बांसुरी वादक पंडित हरिप्रसाद चौरसिया से शिक्षा प्राप्त की। अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद दोनों बहनों को नीदरलैंड स्थित भारतीय दूतावास से नफिक छात्रवृत्ति प्रदान की गई। उन्होंने रॉटरडैम कंज़र्वेटरी में विश्व संगीत का अध्ययन किया और यूटवोएरेंड म्यूज़िकस और डोसेंटेन म्यूज़िकस संगीत शिक्षक का विशिष्ट प्रमाण पत्र प्राप्त किया। भारत में उन्होंने इलाहाबाद स्थित प्रयाग संगीत समिति से संगीत प्रभाकर (संगीत स्नातक) की उपाधि प्राप्त की। यही नहीं,उन्हें बाँसुरी वादन के लिए प्रदर्शन पदक से सम्मानित किया गया, जिसमें सुचिस्मिता को स्वर्ण और देबोप्रिया को रजत पदक मिला।उन्होंने एक जोड़ी के रूप में वादन किया है और अपने गुरु के साथ न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी बाँसुरी वादन के कार्यक्रम प्रस्तुत किए। उन्होंने विभिन्न सार्वजनिक मंचों पर अपनी प्रस्तुतियों से प्रशंसा प्राप्त की। दोनों बहनों ने अफसर बिटिया,बालिका वधू और क्राइम पेट्रोल जैसे टीवी धारावाहिकों के लिए पृष्ठभूमि संगीत भी दिया है। उनका मानना है कि भारतीय शास्त्रीय संगीत में जुगलबंदी के रूप में जानी जाने वाली जोड़ी के रूप में वादन करना एक फायदा है। वे अपने कौशल को एक-दूसरे का पूरक मानती हैं, क्योंकि उनका दावा है कि उनकी अलग-अलग खूबियां हैं। उन्होंने कई संगठनों जैसे सोसाइटी फॉर द प्रमोशन ऑफ इंडियन क्लासिकल म्यूजिक एंड कल्चर अमंग्स यूथ के साथ मिलकर छात्रों को भारत की संगीत विरासत से परिचित कराने के लिए इंटरैक्टिव प्रस्तुतियाँ दी हैं।
देबोप्रिया चटर्जी को उस्ताद बिस्मिल्लाह खां युवा पुरस्कार से बांसुरी वादक के रूप में हिंदुस्तानी वाद्य श्रेणी में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार मिला। दोनों आकाशवाणी की श्रेणीबद्ध कलाकार हैं। वे प्रसिद्ध भारतीय शास्त्रीय संगीत सम्मेलन, स्वामी हरिदास संगीत सम्मेलन में भी प्रमुख कलाकार रही हैं। शास्त्रीय संगीत में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें मध्य प्रदेश सरकार द्वारा स्थापित प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पंडित कुमार गंधर्व सम्मान से भी नवाजा जा चुका है।