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बहाव में अड़चन, ,हर्षिल में मलबे ने पाट दी भागीरथी

उत्तरकाशी। जिले के धराली में खीर गंगा से आई आपदा के बाद राहत और बचाव कार्य जारी है। नदी के मलबे में दबे लोगों को खोजने का कार्य युद्ध स्तर पर चल रहा है। इस बीच खीर गंगा द्वारा लाए गए मलबे ने भागीरथी के बहाव में अड़चन डाली है। इसी के साथ हर्षिल में नई मुसीबत मुंह उठाए खड़ी है।
हर्षिल आपदा प्रभावित इलाके में जहां से भागीरथी नदी बहती है, वहां मलबे के कारण उसका प्रवाह क्षेत्र सिमट गया है। इस कारण भागीरथी नदी में एक झील बन गई है। इस झील में धीरे-धीरे पानी इकट्ठा हो रहा है। अगर मलबा नहीं हटाया गया तो झील का ये बढ़ता पानी खतरा बन सकता है। दरअसल यहां सुक्कीटॉप से भी खीर गंगा जैसा ही जलजला आया था।
जहां हर्षिल घाटी का हैलीपैड था वहां पर भागीरथी में झील बनी है। हालांकि राहत की बात ये है कि झील से धीरे-धीरे पानी बाहर निकल रहा है। इस कारण पानी एकदम से ब्लॉक नहीं हुआ है। तत्काल खतरे की बात नहीं है. अगर नदी के प्रवाह क्षेत्र में और मलबा जमा होता रहा तो फिर खतरे की आशंका है।
पहाड़ी क्षेत्रों में नदियों का गाड़-गदेरों में झील बनना हमेशा ही खतरनाक होता है। क्योंकि मैदानी इलाकों में तो समतल भूमि से पानी निकल जाता है, लेकिन पहाड़ी इलाके जल प्रवाह के दोनों ओर पहाड़ से ढके होते हैं। यानी नदी या गाड़-गदेरे पहाड़ी के बीच से बहते हैं। ऐसे में झील बनती है और उसमें से जल निकासी नहीं होती है। तो धीरे-धीरे पानी एक बड़े डैम का आकार ले लेता है। अगर ये पानी उस झील के टूटने के बाद डिस्चार्ज होता है तो उसकी मात्रा बहुत ज्यादा होती है। ऐसे में वो अपने सामान्य प्रवाह क्षेत्र से ज्यादा एरिया को कवर करते हुए बाढ़ का रूप लेकर तूफानी गति से आगे बढ़ता है।

 

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