अभिमान को नष्ट करना ही उत्तम मार्दव धर्म है:नीरज शास्त्री

देहरादून 09 सितंबर दसलक्षण महापर्व के द्वितीय दिवस श्री 1008 श्रीआदिनाथ दि. जैन मंदिर जी माजरा में प्रात काल श्रीजी का अभिषेक,मूलनायक भगवान के साथ सभी जिनविम्वो की शांतिधारा बड़ी ही धूमधाम से की गई। इसरे उपरांत सोलह कारण,पंचमेरू एवं दसलक्षणं धर्म की पूजा की गई और 1008 श्रीनंदीश्वर विधान किया गया ।आज 8 पूजाएं की गई समस्त कार्यक्रम टीकमगढ़ म.प्र.से पधारे पं.श्री नीरज जी शास्त्री के निर्देशन में सम्पन्न हुए।
सायंकालीन कार्यक्रम में श्रीजी की मंगलमय संगीतमय आरती की गई, तदुपरांत उत्तम मार्दव धर्म का महत्त्व समझाते हुए नीरज शास्त्री ने बताया कि हम सभी को मान कषाय का नाश करना चाहिए तभी जीवन में मार्दव धर्म प्रगट हो पायेगा। मान एक मीठा जहर है जो धीरे- धीरे हमारी आत्मा को कमजोर बनाता है।
ज्ञान,पूजा,कुल,जाति,ऋद्धि,तप और शरीर इन आठ के माध्यम से यह अज्ञानी जीव प्रतिक्षण अभिमान करता है।
प्रवचन के उपरांत भजन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसने सभी लोगों ने बढ़- चढ़कर भाग लिया।सभी को पुरुष्कार प्रदान किए गए। इस अवसर पर मंदिर समिति के पदाधिकारी एवम बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।