शूलिनी विश्वविद्यालय को मिला यूजीसी का कैटेगरी-1 दर्जा, भारत के अग्रणी स्वायत्त संस्थानों की सूची में हुआ शामिल

देहरादून 16 जुलाई । शूलिनी विश्वविद्यालय ऑफ बायोटेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट साइंसेज़, जो हिमाचल प्रदेश के सोलन ज़िले में स्थित है, को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने ग्रेडेड ऑटोनॉमी रेगुलेशंस, 2018 के तहत कैटेगरी-1 का दर्जा प्रदान किया है। यह मान्यता अकादमिक उत्कृष्टता का एक बड़ा प्रमाण है और इससे शूलिनी देश के सर्वाधिक स्वायत्त और उच्च प्रदर्शन करने वाले संस्थानों में शामिल हो गया है।
यूजीसी की यह घोषणा उसकी 591वीं आयोग बैठक में की गई,जिसमें विश्वविद्यालय द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव पर विचार किया गया। शूलिनी विश्वविद्यालय को यह शीर्ष श्रेणी का दर्जा यूजीसी की निर्धारित कसौटियों को पूरा करने के बाद प्राप्त हुआ है, जिनमें टाइम्स हायर एजुकेशन वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग्स में वैश्विक स्तर पर शीर्ष 500 में बने रहना शामिल है।
इस मान्यता के साथ, शूलिनी विश्वविद्यालय को कई अकादमिक और प्रशासनिक स्वतंत्रताएं प्राप्त होंगी। इनमें बिना पूर्व अनुमति के नए पाठ्यक्रम और विभाग शुरू करना, ऑफ-कैम्पस सेंटर स्थापित करना और अंतरराष्ट्रीय सहयोग करना शामिल है।
शूलिनी विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलाधिपति प्रो. पी.के. खोसला ने इस उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा, “यह हमारे लिए गर्व का विषय है कि पहली बार में ही हमें शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत कैटेगरी-1 का दर्जा प्राप्त हुआ है। इससे अनुसंधान में स्वतंत्रता और अनुदानों की सुविधा बढ़ेगी। मेरा सपना है कि आने वाले दशक में शूलिनी ऑक्सफोर्ड जैसी अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा वाला संस्थान बने। हमारे नेतृत्व में उत्कृष्टता को समर्पित शिक्षाविद् और शोधकर्ता हैं।”
प्रो. खोसला ने यह भी कहा कि अब विश्वविद्यालय को वैश्विक शोध उपस्थिति और उद्धरणों (citations) को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
“मैं पूर्ण विश्वास से कहता हूँ कि अगले 10 वर्षों में शूलिनी विश्व की शीर्ष 50 विश्वविद्यालयों में शामिल होगा।”
यूजीसी के दिशानिर्देशों के अनुसार, यदि किसी कारणवश विश्वविद्यालय की रैंकिंग या प्रत्यायन (accreditation) में गिरावट आती है, तो उसे 30 दिनों के भीतर यूजीसी को सूचित करना होगा। यदि मानकों में गिरावट बनी रहती है, तो विश्वविद्यालय को निम्न श्रेणी में स्थानांतरित किया जा सकता है और विशेषाधिकार वापस ले लिए जाएंगे। हालांकि, पूर्व में लिए गए निर्णय अपनी अवधि तक मान्य रहेंगे।
यूजीसी ने विश्वविद्यालय से अपेक्षा की है कि वह आगामी शैक्षणिक सत्र से मिलने वाले लाभों की जानकारी प्रस्तुत करे और ग्रेडेड ऑटोनॉमी रेगुलेशंस के सभी प्रावधानों का पालन करने का लिखित आश्वासन भी दे।
कैटेगरी-1 संस्थानों को ओपन एंड डिस्टेंस लर्निंग (ODL) के तहत पाठ्यक्रम शुरू करने की अनुमति भी प्राप्त होती है, बशर्ते वे संबंधित नियामकीय आवश्यकताओं को पूरा करें। इसके लिए विश्वविद्यालय को यूजीसी-डीईबी पोर्टल पर पाठ्यक्रम विवरण, सहायक दस्तावेज और एक औपचारिक शपथ-पत्र जमा करना होगा।
यह मान्यता न केवल शूलिनी विश्वविद्यालय के लिए,बल्कि भारत के निजी विश्वविद्यालयों के अंतरराष्ट्रीय मानकों की ओर बढ़ते कदम के लिए भी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि मानी जा रही है।