उत्तराखण्ड

पहाड़ में रोजगार देने की मुहिम में अड़ंगा डालने का आरोप

ऋषिकेश। राज्य सरकार पर्वतीय इलाकों में पलायन रोकने को हर मुमकीन कोशिश करने का दावा करती है। बाकायदा राज्य में पलायन आयोग तक गठित किया गया है, लेकिन परेशानी यह है कि कोई युवा पहाड़ में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए से उद्योग खड़ा करना चाहे, तो स्थानीय लोग ही उसे काम नहीं करने देते। जाहिर है कि वाकई अगर ऐसे हालात हैं, तो फिर पहाड़ से पालयन आखिर रूकेगा कैसे?

दरअसल, ग्लोबल हाउसिंग कंपनी के सीईओ गौरव दीक्षित ने जो बताया है, उस पर यकीन किया जाए, तो ऐसा ही है। पौड़ी जिले के यमकेश्वर ब्लॉक में इस कंपनी से जुड़े लोग इंडस्ट्रियन हेंप पर शोध कर उसके रेशे से कपड़ा और बिल्डिंग मैटेरियल बनाने में जुटे हैं।

कंपनी इसके लिए आधुनिक मशीन भी खरीद चुकी है, जोकि किसी और नहीं, बल्कि सरकारी मदद से दक्षिण भारत खरीद कर यमकेश्वर के कंडवाल गांव में कंपनी के मुख्यालय में लाई गई है। मशीन का फिलहाल ट्रायल करने की तैयारी है, लेकिन इसमें राजपनीति से कंपनी के सीईओ और उनकी पत्नी नम्रता कंडवाल परेशान हैं। आरोप है कि शहरों में बसे यहां के कुछ निवासी स्थानीय लोगों को भड़का रहे हैं। तरह-तरह के भ्रम फैलाकर उन्हें लगातार परेशान करने की कोशिशें की जा रही है, जिससे दंपत्ति अब अजीज आ चुके हैं।

कहना है कि ऐसे ही लोगों की वजह से स्थानीय युवा रोजगार की तलाश में गांव को छोड़ मैदानी इलाकों की ओर भाग रहे हैं। उनके प्रयास से इंडस्ट्रियल हेंप और अन्य प्राकृतिक उत्पाद से रेशों को निकालने के लिए वह बड़ा उद्योग स्थापित कर युवाओं को यहीं रोजगार देना चाहते हैं। बावजूद इस मुहिम को रोकने के लिए तरह-तरह के भ्रम फैलाकर लोगों को भड़काया जा रहा है।

दपंत्ति कहना है कि उनकी कोई गलती है, तो सरकार बेशक इसकी जांच कराए। छानबीन में कोई कमी मिलती है, तो उनपर कार्रवाई भी की जाए, मगर उन लोगों पर एक्शन क्यों नहीं लिया जा रहा है, जोकि लगातार परेशान कर स्थानीय युवाओं को रोजगार से जोड़ने की इस पहले में अडंगा डालने में लगे हैं।

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