उत्तराखण्डकानून व्यवस्था

हाईकोर्ट में पशु चिकित्सकों की ट्रांसफर नियमावली पर सुनवाई

पशु पालन सचिव से कोर्ट ने मांगा जवाब

नैनीताल 20 जून। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने पशु चिकित्सकों का स्थानांतरण नियमावली को चुनौती देती याचिकाओं पर सुनवाई की। मामलो की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायधीश जी नरेंद्र व न्यायमूर्ती आलोक महरा की खण्डपीठ ने पशु पालन सचिव को निर्देश दिये हैं कि विभाग में जितने कर्मियो के स्थानांतरण के मामलो पर आपत्तियां आई हैं उनकी जांच करके रिपोर्ट शपथपत्र के साथ दो सप्ताह में न्यायलय में पेश करें।
आज हुई सुनवाई पर पशु पालन सचिव पुरषोत्तम कोर्ट के आदेश पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुए। कोर्ट ने उनसे सवाल किया कि किस आधार पर पशु चिकित्सकों का स्थानांतरण किया गया। स्थानांतरण नियमावली कुछ और कहती है जबकि इसके बिरुद्ध जाकर स्थानांतरण किए गए हैं। स्थानांतरण नियमावली के मुताबिक गम्भीर बीमारी से ग्रस्त व 55 साल से अधिक उम्र के कर्मचारियों का स्थानांतरण नहीं किया जा सकता। उनका भी स्थानांतरण किया गया। मामूली रोग से ग्रस्त कर्मचारियों का नहीं,। जो कि सुगर ,यूरिक एसिड व अन्य हल्की बीमारी से ग्रस्त थे, जिनका हाई ब्लड प्रेशर , बाई पास सर्जरी हुई है उनका स्थानांतरण दुर्गम क्षेत्र में कर दिया।
रोग ग्रस्त कर्मियों से ट्रांसफर लिस्ट जारी होने पर राज्य मेडिकल बोर्ड का सर्टिफिकेट हर साल मांगा जाना चाहिए। ऐसे में तो दुर्गम क्षेत्र में कोई जाना नहीं चाहेगा। हर कोई बीमारी का बहाना लगाएगा। जिस पर कोर्ट ने कहा स्थानांतरण करते वक्त ऐसे कर्मचारियों की मेडिकल लिस्ट का अवलोकन किया जाये। कौन किस बीमारी से ग्रस्त है, राज्य मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट का अवलोकन किया जाये। मामले के अनुसार कई पशु चिकित्सकों के द्वारा अपने स्थानांतरण आदेश को चुनौती देकर कहा कि उनका स्थानांतरण नियमों के विरुद्ध जाकर किया गया है। वे कई गम्भीर बीमारी से ग्रस्त हैं। उन्होंने अपने सेवाकाल के दस वर्ष दुर्गम क्षेत्र में सेवा दी है। अभी भी उनका स्थांतरण किया जा रहा है।

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