हल्द्वानी। प्रदेश सरकार द्वारा नजूल भूमि को फ्री होल्ड करने के रोक पर पूर्व सीएम हरीश रावत ने सवाल खड़े किए हैं। हरीश रावत ने कहा है कि नजूल नीति को कांग्रेस सरकार ने अध्ययन करके बनाया था, लेकिन भाजपा सरकार कांग्रेस के इस नीति को पलटने का काम करने जा रही है। उन्होंने कहा कि नजूल भूमि फ्री होल्ड के लिए एक कमेटी बनाई गई थी और कमेटी के रिपोर्ट के आधार पर नजूल की नीति बनाई थी।
हरीश रावत ने कहा कि जमीन मामले में अलग-अलग प्रकार की नीति बनाई थी, लोगों को मालिकाना हक भी मिला, जिससे लोगों को फायदा हुआ है। उन्होंने कहा कि हल्द्वानी की बनभूलपुरा इसलिए बच गया है, क्योंकि उनके कार्यकाल में नजूल नीति बनाई गई थी। जिसके तहत मलिन बस्तियों के लोगों को मालिकाना हक देने की बात कही गई और उनके समय में बनाई गई नजूल नीति आज हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र की सुरक्षा के काम में आया है. हरीश रावत ने कहा कि सरकार इस मामले में राजनीति कर रही है और इस मामले में राजनीति नहीं होनी चाहिए। सरकार को जन कल्याण को देखते हुए नजूल नीति पर काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि नजूल नीति को जो भी सरकार बनाई हो, उसको दूसरी सरकार को अछूत नहीं मानना चाहिए। प्रदेश में कई लोगों को नजूल भूमि लीज पर दी जाती रही है। नजूल भूमि पर बड़ी तादाद में लोगों ने कब्जे भी किए हैं। आजादी से पहले अंग्रेजों ने रियासतों के राजाओं से उनकी हार के बाद कब्जे में ली गई। जमीन को नजूल भूमि कहा जाता है। समस्या तब खड़ी हो गई जब आजादी के बाद रियासतों से जुड़े राजघराने इससे जुड़े कोई दस्तावेज नहीं दिखा पाए। राज्य सरकार द्वारा इस भूमि को ऐसे लोगों को इसका स्वामित्व देने की कोशिश की गई, जो इसमें काबिज हैं। इसके लिए कुछ नियत शुल्क इन लोगों को जमा करना होता है। जिसके बाद इन्हीं लोगों का भूमि पर स्वामित्व माना जाता है। नजूल नीति 2009 पूर्व में लाई गई थी, लेकिन इसे तब नैनीताल हाईकोर्ट में चुनौती दी गई।