पर्यावरण

वनाग्नि को लेकर हाईकोर्ट ने लगाई मुख्य वन संरक्षक को फटकार

-अदालत के सवाल ?

-समय रहते कोई एक्शन प्लान  क्यों नहीं तैयार किया गया 

-एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की सहायता क्यों नहीं ली गई 

-कब तक इस आग पर काबू पा लिया जाएगा 

देहरादून:  उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग के मुद्दे पर प्रमुख वन संरक्षक आज हाईकोर्ट के समक्ष वर्चुअली पेश हुए लेकिन वह अदालत को उसके सवालों का संतोषजनक उत्तर नहीं दे सके।

जिस पर अदालत ने उन्हें कड़ी फटकार लगाते हुए दो बजे के बाद सभी मुद्दों पर स्पष्ट जवाब देने के लिए कहा गया।
हाईकोर्ट द्वारा राज्य के जंगलों में लगी आग को लेकर एक जनहित याचिका पर संज्ञान लेते हुए बीते कल मुख्य वन संरक्षक को अदालत में पेश होने का आदेश दिया गया था ।

जिसके तहत आज मुख्य वन संरक्षक मानसिंह मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आर एस चैहान और न्यायमूर्ति आलोक चैहान की खंडपीठ के समक्ष पेश हुए।

न्यायालय ने मानसिंह से पूछा कि इन दिनों राज्य के जंगलों में जो आग लगी हुई है उसके लिए समय रहते कोई एक्शन प्लान तैयार क्यों नहीं किया गया।

अदालत द्वारा सवाल किया गया कि आग जब इतना विकराल रूप ले चुकी है तो इसे बुझाने के लिए एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की सहायता क्यों नहीं ली गई है।

पीठ ने मुख्य वन संरक्षक से पूछा कि इस आग पर काबू पाने के लिए विभाग द्वारा क्या एक्शन प्लान तैयार किया गया है तथा कब तक इस पर काबू पा लिया जाएगा।

अदालत के किसी भी सवाल का संतोषजनक जवाब न दिए जाने से पीठ ने सख्त नाराजगी जताई और उन्हें दो बजे के बाद सभी सवालों की जानकारी देने का आदेश दिया।समाचार लिखे जाने तक मुख्य वन संरक्षक मान सिंह द्वारा अपना पक्ष अदालत में नहीं रखा गया था।

उधर बीती रात चमोली जिले में उत्तरकाशी में हुई बारिश के बाद काफी हद तक वनाग्नि शांत हुई हैै। जिससे प्रशासन ने चैन की सांस ली है लेकिन अल्मोड़ा, पौड़ी तथा पिथौरागढ़ के जंगल अभी धधक रहे हैं।

श्रीनगर और गढ़वाल में भी बारिश के कारण वनाग्नि से राहत मिली है लेकिन यह आग पूरी तरह से बुझी नहीं है।

केंद्र सरकार से उपलब्ध कराए गए दो एमआईकृ17 हेलीकॉप्टर से भी आग बुझाने के प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन इस भीषण वनाग्नि से भारी नुकसान हुआ है।

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