देहरादून 22 मार्च। कलाश्रय सांस्कृतिक एवं सामाजिक राष्ट्रीय संस्था द्वारा आयोजित तीन दिवसीय हिमालय सांस्कृतिक उत्सव के द्वितीय दिवस का उद्घाटन आज लीची बाग, देहरादून में नेपाली दूतावास के सचिव मनोज सिंह एवं नवीन राज अधिकारी के कर कमलों से सम्पन्न हुआ। दीप प्रज्वलन के साथ इस उत्सव के दूसरे दिवस की शुरुआत हुई, जो सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आगाज था।
प्रातःकालीन सत्र की शुरुआत प्रसिद्ध संगीतकार विजय भट्ट द्वारा संगीत चिकित्सा प्रस्तुति से हुई, जिसने दिन की शुरुआत को एक शांतिपूर्ण वातावरण में बदला। इसके बाद, इनली फाउंडेशन के असम के लोक कलाकारों ने बिहू नृत्य प्रस्तुत किया, जो असम की पारंपरिक और उत्सवधर्मिता को मंच पर जीवित करता है। तत्पश्चात, लद्दाख के टुंडूप दोर्जे ने लेह और लद्दाख की लोक गीतों की श्रृंखला प्रस्तुत की, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
सुबह के सत्र का एक महत्वपूर्ण आकर्षण था श्री सुबोध पोद्दार की पुस्तक “धर्म पथ पर राहुला” का विमोचन, जिसे उपस्थित श्रोताओं ने बहुत उत्साह से सराहा। इसके बाद उत्तराखंड रंगमंच पर परिचर्चा का आयोजन हुआ, जिसमें देवभूमि उत्तराखंड के रंगमंच के वैश्विक दृष्टिकोण पर चर्चा की गई।
शाम के सत्र में उत्तराखंड के पांडवानी नृत्य, विदुषी कला रामनाथ का वायलिन वादन, और अमान अली खान का सरोद वादन मुख्य आकर्षण बने। इन प्रस्तुतियों ने दर्शकों को भारतीय शास्त्रीय संगीत और नृत्य की गहरी समझ और सुंदरता से रूबरू कराया। विशेष रूप से अमान अली खान की सरोद प्रस्तुति, जो पंडित मिथिलेश झा के साथ ताल में बजी, ने समापन के समय वातावरण को मंत्रमुग्ध कर दिया।
इस आयोजन में कला एवं संस्कृति से जुड़े कई प्रतिष्ठित व्यक्तित्व उपस्थित रहे, जिन्होंने उत्सव की गरिमा में चार चाँद लगाए।
संस्था के संस्थापक हिमांशु दरमोड़ा ने सभी को इस उत्सव में आमंत्रित किया, जो प्रतिदिन 12:00 बजे से लेकर रात 9:00 बजे तक जारी रहेगा। उन्होंने बताया कि इस आयोजन के माध्यम से हिमालयी राज्यों की संस्कृति और लोक कलाओं से जुड़ने का यह एक अद्भुत मंच तैयार किया गया है, जहां उभरते हुए कलाकारों को अपने हुनर को प्रदर्शित करने का अवसर मिलता है। हिमालय सांस्कृतिक उत्सव ने एक सशक्त सांस्कृतिक मंच तैयार किया है, जो सभी के लिए प्रेरणादायक और समृद्ध है।