उत्तराखण्डधर्म-कर्म

मोक्ष कथा और भंडारे के साथ श्रीमद भागवत कथा हुई सम्पूर्ण

देहरादून 23 जून । श्रीमद् भागवत गीता समिति द्वारा मां शाकंभरी देवी संस्कृत सेवा समिति श्री महाकाल सेवा समिति की संयुक्त तत्वाधान में श्री तुलसी प्रतिष्ठान मंदिर तिलक रोड की प्रांगण मैं पिछले 7 दिन से चल रही श्रीमद् भागवत कथा अमृत वर्षा का आज प्रात 9:00 हवन 10:00 बजे मोक्ष कथा के बाद भंडारे के आयोजन के साथ समापन हुआ।
आज की कथा अमृत वर्षा में कथा व्यास श्री सुभाष जोशी जी ने जीवन से संबंधित बहुत से उपदेश के माध्यम से संदेश दिए जिसमें कथा व्यास जी ने दान की महिमा का वर्णन करते हुए बताया कि दान हमेशा ऐसे करना चाहिए कि एक हाथ से किया हुआ दान दूसरे हाथ को भी पता नहीं चलना चाहिए, भागवत का मुख्य संदेश है की अपना बखान नहीं करना चाहिए जैसे मैंने यह किया,मैं यह करता हूं, मैं इतना धार्मिक हूं,मैं सुबह इतने बजे पूजा करता हूं,यह सब दिखावे और और अभिमान के पर्याय हैं। कथा व्यास जी ने आगे 16 संस्कारों का वर्णन करते हुए बताया कि विवाह इसमें एक बहुत महत्वपूर्ण संस्कार है अगर समय से विवाह नहीं होंगे तो सनातन धर्म आगे कैसे बढ़ेगा हमें अपनी संतानों में धार्मिक संस्कारों को प्रमुखता देनी चाहिए। भगवान शिव के विषय में कथा करते हुए कथा व्यास जी ने बताया कि भगवान शिव से सरल कोई नहीं है भोलेनाथ एक ऐसे भगवान हैं जो बहुत ही सरल भक्ति जैसे कि केवल जल और बेलपत्र चढ़ाने से ही प्रसन्न हो जाते हैं। गीता में भी भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा है है अर्जुन तू कर्म किए जा फल की इच्छा मत कर, जीवन के प्रति एक उदाहरण देते हुए कथा व्यास जी ने कहा कि मकड़ी का एक गुण होता है जाल बनाना और यह ही उसका सबसे बड़ा अवगुण भी है मकड़ी स्वयं के लिए जाला बनाती है ताकि दूसरे जीव जंतु को उसमें फंसा कर वह अपना भोजन प्राप्त कर सके लेकिन एक दिन वह मकड़ी इसी जाल में उलझ कर अपने प्राण त्याग देती है। इस प्रकार मनुष्य भी मोह,माया परिवार आदि अपने चारों तरफ इतने जाल बुन लेता है कि फिर वह मोह माया से नहीं निकल पाता और अंत समय तक वह सब इन्हीं मोह माया और परिवार और संबंधों के जालों में फंसकर एक दिन अपने प्राण त्याग देता है। कथा व्यास जी ने कहा इसका मतलब यह नहीं है कि धर्म यह कहता है कि आप अपनी जिम्मेदारियां ना उठाएं बस उनसे आशा न रखते हुए अपनी जिम्मेदारियां का निर्वाह करते रहे। इसी संबंध में कथा व्यास जी ने कहा है कि पुराणों में गृहस्थ आश्रम को सबसे बड़ा धर्म बताया गया है। हमें आशा केवल प्रभु से करनी चाहिए। जिसमें उन्होंने एक भजन “आशा एक राम जी से दूजी आशा छोड़ दे” की माध्यम से बताया कि हमें प्रभु पर आशा रखनी चाहिए जब हम अपनी सगे संबंधी, परिवार से आशा रखते हैं तो टूटने पर बड़ा दुख होता है।
इस अवसर पर समिति के संस्थापक सुधीर जैन,अध्यक्ष बालेश कुमार गुप्ता,रोशन राणा ,शिवम गुप्ता,आलोक जैन,बालकिशन शर्मा, संजीव गुप्ता,सुरेंद्र सिंघल,प्रवीण गुप्ता,भाजपा महानगर अध्यक्ष सिद्धार्थ अग्रवाल,पूर्व विधायक राजकुमार,कांग्रेसी नेता लालचंद शर्मा,भाजपा नेता अशोक वर्मा,पूर्व मेयर सुनील उनियाल गामा,राष्ट्रीय सहारा के स्थानीय संपादक राकेश डोभाल, वरिष्ठ पत्रकार गोपाल सिंघल,रीना सिंघल, समाजनसेवी मीनू डिडान,सीए योगेंद्र वर्मा,
पवन शर्मा,पंडित देवी प्रसाद,डॉक्टर सुनील अग्रवाल,इंदु,नीना गुप्ता,नीलम गुप्ता,रजनी राणा,कृतिका राणा,अनुष्का राणा,विवांश गुप्ता,कृष्णा गुप्ता,समिति समस्त पदाधिकारी और भक्तगण उपस्थित रहे।

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