आध्यात्मवाद पर चलनें वाला नर ही बैरागी :आचार्य ममगांई

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देहरादून 08 फ़रवरी। जब सांसारिक विषयों की मन में इच्छा भी नहीं रहती तो मनुष्य का ध्यान परमात्मा की ओर चलता है। यही वैराग्य मनुष्य के लिए निर्भयता का कारण बन जाता है। यह बहुत ऊँची अवस्था है। इस तक सभी व्यक्ति नहीं पहुंच सकते। हाँ, यह सोचकर कि संसार के सभी पदार्थ नाशवान् हैं और हमसे एक-न-एक दिन छूटने वाले हैं, यदि व्यक्ति कुछ वैराग्य-भाव मन में धारण करते हुए प्रात:-सायं ईश्वर का चिन्तन करता रहे तो वह निर्भयता की ओर अग्रसर होता रहता है।
अध्यात्मवाद पर चलने वाला व्यक्ति ही वैराग्य धारण कर सकता है। जबकि भौतिकवाद के मार्ग पर चलने वाले लोगों ने केवल प्रकृति और उसके परिणाम को ही स्वीकार किया। यह बात अध्रनारेश्वय मन्दिर किशनपुर राजपुर में ज्योतिष पीठ व्यास पद से अलंकृत आचार्य शिवप्रसाद ममगांई जी नें स्थानीय लोगों के द्वारा आयोजित शिवपुराण कथा के सातवें दिन कही आंखें जिसे देखती हैं,कान जिसे सुनते हैं,जिह्वा जिसका रस लेती है,त्वचा जिसका स्पर्श करती है,भौतिकवादी के लिए यही सत्य है। इसके विपरित जो कुछ आँखों से दिखाई नहीं देता, जो नासिका से सूंघा नहीं जाता, जिसका जिह्वा से रस नहीं लिया जाता―यह सब असत्य है, उसका कोई अस्तित्व नहीं है।
इसी आधार पर इन्होंने आत्मतत्त्व को ठुकरा दिया। उनकी परिभाषा केवल सांसारिक पदार्थों पर ही ठीक उतरती है। वे संसार और सांसारिक पदार्थों को ही सत्य मानते हैं। भूमि, सम्पत्ति, धन, स्त्री, और सन्तान तक ही इनकी दृष्टि रहती है। केवल शरीर, केवल दृश्यमान जगत् और केवल वर्तमान जीवन ही उनके निकट परम सत्य होते हैं।
प्रश्न यह है कि मनुष्य भौतिकवादी दृष्टिकोण अपनाता क्यों है? कठोपनिषद् के ऋषि ने इसका विवेचन करते हुए लिखा है―
अपनी ही सत्ता में स्थित रहने वाले परमात्मा ने इन्द्रियों को वाह्य विषयों पर गिरने वाला बनाया है, इसलिए मनुष्य वाह्य विषयों को देखता है, अन्तरात्मा को नहीं। कोई ध्यानशील और विवेकी पुरुष ही मोक्ष की इच्छा करता हुआ ह्रदयाकाशस्थ आत्मा को देखता है।
वाह्य विषयों के पीछे दौड़ने वाले व्यक्तियों के लिए उपनिषत्कार ने कहा है―आज विशेष रूप से दयाल सिंह नेगी इन्द्रा देवी उर्मिला थापा भुपेन्द्र सिंह नेगी कुसुम नेगीषकमल सिंह नेगी खेम सिंह नैगी शिव चरण सिंह भण्डारी अनिकेत नेगी अनुभव नेगी नूतन रावत राजेन्द्र बंगवा माला बंगवाल अनिता धस्माना ममता गुसाईं निर्मला गुसाईं बिना नेगी रिना नेगी गौरव थापा पूजा थापा भावना चौधरी रेखा भण्डारी आचार्य राकेश धस्माना आचार्य दिवाकर भट्ट आचार्य हितेष पंत्त आचार्य अजय जुयाल आचार्य सुनील ममगाईं सुमन पपेन्द्र राघव गोयल संजू आदि सम्मलित थे।