देहरादून 21 दिसंबर। खैरी मानसिंह माल देवता मे ममगांई वन्धुओं के द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण कथा से पहले माल देवता मन्दिर से कलश यात्रा निकाली गयी। जिसमें पीत वस्त्र पहनी सैकड़ों महिलाएं सिर पर कलश लिए श्रीमन्नारायण भजन गाते हुए मालदेवता मुख्य बाजार से होते हुए कथा पाण्डाल खैरी मानसिंहवाला में पहुँची। जहाँ विद्वान ब्राह्मणों के द्वारा श्री गोपाल जी का अभिषेक किया गया। बदरीकाश्रम शंकराचार्य व्यास पदाल॔कृत आचार्य शिवप्रसाद ममगांई जी नें सच्चिदानन्द की व्याख्या करते हुए कहा कि “चित् शब्द को निरुक्तकार ने निपात भी माना है और नाम भी” यहाँ पर नाम शब्द होने से यह शब्द भगवान् के लिए प्रयुक्त हुआ है।
आङ्पूर्वक इस धातु से ‘आनन्द’ शब्द बनता है। ‘आनन्दन्ति सर्वे मुक्ता यस्मिन् यद्वा यः सर्वाञ्जीवानानन्दयति स आनन्दः’ जो आनन्दस्वरूप, जिस में सब मुक्त जीव आनन्द को प्राप्त होते और सब धर्मात्मा जीवों को आनन्दयुक्त करता है,जिसका अर्थ है स्वयं आनंद स्वरुप होने से तथा अन्यों को आनंदप्रद होने से आनंद कहाने वाले भगवान् से ही यह सम्पूर्ण जगत उत्पन्न होता है। आनंद से ही इसकी स्थिति है और वे ही आनंद इसके प्रलय के कारण हैं और यह आनंद ब् आनंद मयो अभ्यासात में आनंद शब्द आया है।
इन तीनों शब्दों के विशेषण होने से परमेश्वर को ‘सच्चिदानन्दस्वरूप’ कहते हैं।
सत् प्रकृति को भी कहते है। कोई भी वह पदार्थ जो शाश्वत रहने वाला हो, वह जड़ हो या चेतन, सत् कहलाता है। प्रकृति भी अनादि और अजा है अत: सत् कहलाती है। जीवात्मा भी सत् है किन्तु साथ में चित् भी है। प्रकृति केवल मात्र जड़ पदार्थ है। जीवात्मा सत् और चेतन दोनों हैं। जीवात्मा अनादि,अमर,अजर आदि रूप के साथ चेतन भी है। इसलिए जीवात्मा सच्चित भी कहलाता है।
परमात्मा सच्चिदानन्द अर्थात सत्+चित्+आनन्द तीनों है। केवल ईश्वर ही आनंद स्वरुप है। इसलिए ईश्वर का नाम सच्चिदानन्द है। परिभाषा सच्चिदानन्द शब्द रमोत्तरतापिनी उपनिषद् में हुआ है।
तेजोबिन्दु उपनिषद् में इस शब्द का प्रयोग हुआ है।
आईये सच्चिदानन्द स्वरुप परमात्मा की उपासना कर जीवन को आनंदमय बनाये। आज प्रथम दिन विशेष रूप से सोहनलाल ममगाई,रोशनलाल ममगाई, सुंदरलाल ममगाई,रमेश ममगाई,रामप्रसाद ममगाई, राजेश ममगाई,अजय चौहान,सोभन जवाड़ी (प्रधान) अरुण चौहान, खिलानंद ममगाई सत्य प्रसाद भट्ट, विसंभरदत्त उनियाल,राजेंद्र चौहान,(पूर्व प्रधान) आनंद सिंह नेगी जी,सुरेश कैंतुरा,जयपाल पंवार, श्रीमती बसंती देवी,श्रीमती पुष्पा देवी,श्रीमती गीता देवी,उर्मिला ममगाई,लक्ष्मी ममगाई,मंजू ममगाई राजेश,नरेश,दिनेश,मुकेश गणेश,अंकित,देवांक, प्रशांत,हिमांशु ममगाई,रेंजर देवेंद्र काला जी,रघुवीर सिंह जवाडी,विजय पुंडीर,आदि भारी संख्या में श्रधालु उपस्थित थे।