पूर्व कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा द्वारा भगवान श्री राम,लक्ष्मण, सीता की झांकी की आरती उतार कर रामलीला मंचन का किया शुभारंभ 

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जलालाबाद। कस्बे के रामलीला मैदान में आयोजित रामलीला मंचन में मुख्य अतिथि पूर्व कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा द्वारा भगवान श्री राम, लक्ष्मण, सीता की झांकी की आरती उतार कर शुभारंभ किया गया। श्री रामलीला ट्रस्ट व रामलीला कमेटी के जनेश्वर सैनी, सुनहरा कोरी, निर्देशक राजकुमार रूहेला, देवराज जुनेजा, हिमांशु जुनेजा ने पूर्व कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा को राम नाम पटका पहना, स्मृति चिन्ह प्रदान किया। पूर्व कैबिनेट मंत्री ने बताया कि प्रभु श्री राम की लीलाओं को रामलीला मंचन के माध्यम से प्रतिवर्ष देखते हैं। प्रभु की लीलाओं में मर्यादित जीवन को जीने का मानव को संदेश दिया गया है। प्रभु श्री राम के मर्यादित आचरण , जीवन से शिक्षा ग्रहण करने पर परिवार, समाज, देश में राम राज्य के दर्शन होते हैं। कलाकारों द्वारा मंचन में दिखाया गया कि सीता की खोज में राम-लक्ष्मण, शबरी के आश्रम में पहुंचते हैं। वहां पर शबरी भगवान राम को मीठे बेर खिलाती है। वही बताती है कि पंपा पुर के राजा सुग्रीव के मंत्री हनुमान सीता की खोज करने में मदद करेंगे। राम लक्ष्मण पंपा पुर पहुंचते हैं। वहां के राजा सुग्रीव, मंत्री हनुमान उनका स्वागत करते हैं। राजा सुग्रीव प्रभु श्री राम से वनों में आने का कारण पूछते हैं। इसके बारे में बताते हैं कि पिता की आज्ञा का पालन करते हुए 14 वर्ष का वनवास मिला है। राम सुग्रीव से पूछते हैं कि पंपापुर में रहने का कारण क्या है। वह बताते हैं कि उनका भाई बालि शक्तिशाली है। उसने राज पाट, स्त्री सब पर कब्जा कर लिया है। ब्रह्मा जी के वरदान के कारण वह यहां पर नहीं आ सकता है। उसे वरदान मिला है कि उसके सामने से जो भी युद्ध करता है। उसका आधा बल उसमें समा जाता है। उसे छिपकर मारा जा सकता है। प्रभु श्री राम सुग्रीव को बाली को युद्ध की ललकार के लिए भेजते हैं। बाली सुग्रीव में युद्ध होता है। अंत में प्रभु श्री राम पीछे से बाली के तीर मारते हैं। बाली नीचे पृथ्वी पर गिर जाता है। अंत में बाली अपने पुत्र अंगद का हाथ राम के हाथ में देकर प्राण त्याग देता है। प्रभु श्री राम सुग्रीव को राजा घोषित कर देते हैं। सीता की खोज का वचन राजा सुग्रीव, राम को देते हैं। परंतु राज कार्य में व्यस्त होने के बाद भूल जाते हैं। अंत में लक्ष्मण को क्रोध आता है। वह उनको भला बुरा कहते हैं। राजा सुग्रीव तीन दिशाओं में वानरों की सेना, दक्षिण दिशा में जामवंत, हनुमान, नल नील को भेजते हैं। राम का अभिनय हिमांशु जुनेजा, लक्ष्मण का गौरव कोरी ने किया।

रिर्पोट : जलालाबाद से फैसल मलिक के साथ सिद्धार्थ भारद्वाज प्रभारी दिल्ली एनसीआर।