सौरमंडल का चुनाव जीते सेनापति मंगल ,होंगे नव संवत्सर के राजा ,मंत्री होंगे शनिदेव

0
423

सौरमंडल में बड़ी हलचल के चलते बहुत महत्वपूर्ण है, इस वर्ष चैत्र नवरात्रि।

देहरादून 06 अप्रैल। प्रति वर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्र की शुरुआत होती है। इस वर्ष सौरमंडल के चुनाव में ग्रहों के सेनापति मंगल चुनाव जीतकर राजा बन गए हैं, और उनके मंत्री होंगे न्यायाधीश शनिदेव।

उत्तराखंड ज्योतिष रत्न आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल “दैवज्ञ” सूक्ष्म विश्लेषण करते हुए बताते हैं, कि इस वर्ष अप्रैल माह में कई ग्रह अपना स्थान परिवर्तन कर रहे हैं, इसलिए यह नवरात्रि मन्त्रों और यंत्रों की सिद्धि के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
चैत्र नवरात्र का शुभारंभ
चैत्र माह की प्रतिपदा तिथि का प्रारंभ 08 अप्रैल 2024 को रात में 11 बजकर 50 मिनट पर हो रहा है। साथ ही इसका समापन 09 अप्रैल रात 08 बजकर 30 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, चैत्र माह का आरंभ 09 अप्रैल, मंगलवार के दिन से होगा। इस दौरान कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहेगा –

घट स्थापना मुहूर्त

सुबह 06 बजकर 02 मिनट से सुबह 10 बजकर 16 मिनट तक।

घट स्थापना अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक।

निम्नलिखित क्रम के अनुसार करें दुर्गा पूजा।

अपनी सटीक भविष्यवाणियों एवं मित्रों की ध्वनि को यंत्रों में परिवर्तित कर बड़ी से बड़ी समस्याओं का हल करने के लिए अंतरराष्ट्रीय जगत में प्रसिद्ध डा दैवज्ञ बताते हैं ,कि नवरात्रि की पूजा सही दिवस पर होनी चाहिए उसका क्रम गलत नहीं होना चाहिए।

चैत्र नवरात्र का पहला दिन – 09 अप्रैल, 2024 – मां शैलपुत्री पूजा
चैत्र नवरात्र का दूसरा दिन – 10 अप्रैल, 2024 – मां ब्रह्मचारिणी पूजा
चैत्र नवरात्र का तीसरा दिन – 11 अप्रैल, 2024 – मां चंद्रघंटा की पूजा

चैत्र नवरात्र का चौथा दिन – 12 अप्रैल, 2024 – मां कुष्माण्डा पूजा
चैत्र नवरात्र का पांचवा दिन – 13 अप्रैल, 2024 – मां स्कन्दमाता पूजा
चैत्र नवरात्र का छठा दिन – 14 अप्रैल, 2024 – मां कात्यायनी पूजा
चैत्र नवरात्र का सातवां दिन – 15 अप्रैल, 2024 – मां कालरात्रि पूजा
चैत्र नवरात्र का आठवां दिन – 16 अप्रैल, 2024 – मां महागौरी पूजा
चैत्र नवरात्र का नौवां दिन – 17 अप्रैल, 2024 – मां सिद्धिदात्री पूजा और रामनवमी
चैत्र नवरात्र का दसवां दिन – 18 अप्रैल, 2024 – मां दुर्गा विसर्जन