देहरादून। देर रात रजिस्ट्रार ऑफिस में प्रकरण में वरिष्ठ अधिवक्ता कमल विरमानी को एसआईटी ने गिरफ्तार किया है। कई दिन की आंख मिचैली के बाद विरमानी अपने ही घर से एसआईटी हत्थे चढ़ गए। अधिवक्ता को पुलिस किसी गुप्त स्थान पर ले गई, जहां उनसे पूछताछ की जा रही है। विरमानी पर आरोप है कि उन्होंने अपने मुंशी और वकील इमरान के साथ मिलकर करोड़ों का खेल किया। मामले में अब तक नौ लोग गिरफ्तार हो चुके हैं। सरकार की छवि को प्रभावित करने वाले इस मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गंभीर रुख अपनाया था। उनके निर्देश पर इस मामले की जांच करने और गुनहगारों की धर पकड़ के लिए एसआईटी का गठन किया गया है। जांच टीम ने शनिवार की देर रात कमल विरमानी को गिरफ्तार कर लिया। इससे पूर्व जमीनों की धोखाधड़ी में पुलिस द्वारा देहरादून के वकील इमरान सहित नौ आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है, उनमें वकील कमल विरमानी का मुंशी भी शामिल है। उसकी गिरफ्तारी के बाद से ही विरमानी पर भी गिरफ्तारी की तलवार लटक रही थी। हालांकि अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए वकील कमल विरमानी ने कोर्ट में सरेंडर की अर्जी भी लगाई थी। लेकिन इससे पहले ही पुलिस ने कमल विरमानी को गिरफ्तार कर लिया।
शहर के वरिष्ठ वकील कमल विरमानी की गिरफ्तारी के बाद पुलिस राजधानी में करोड़ों रुपए की जमीनों की धोखाधड़ी के मामले में पुलिस कुछ अन्य सफेदपोशों की भूमिका की जांच में जुट गई है। संभावना जताई जा रही है कि इस बहुचर्चित घोटाले में अभी कुछ और रसूखदारों को सलाखों के पीछे जाना पड़ सकता है।
सूत्रों के अनुसार पुलिस विरमानी को किसी गुप्त स्थान पर ले गई है। उनसे वहां पूछताछ की जा रही है।
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नगर निगम में भी दलाल सक्रिय
सरकारी और गैर सरकारी संपत्तियों पर नजर
इधर इस मामले में जानकारों का यह भी कहना है कि नगर निगम में भी बड़ी संख्या में भूमाफिया और दलाल सक्रिय है जोकि फर्जी कार्याे को अंजाम देने का काम करते है। सरकारी भूमि ठिकाने के लिए फर्जी कार्यो को अन्जाम दिया जा रहा है। इनकी गतिविधयों के चलते नगर निगम में भी लोगों के अस्समैंट व अन्य अभिलेखों में छेड़छाड की आशंका बनी रहती है। यानी आम आदमी के अधिकार यहां भी सुरक्षित नही है। नगर निगम का रिकार्ड रूम भी दलालो और भूमाफियाओं के निशाने पर है। सूत्रों के अनुसार नगर निगम में मेयर के कई लोग खुद दलाली का काम करते है। जिन्हे मेयर ने अपने हिसाब से नगर निगम में कोई न कोई जिम्मेदारी दे रखी है। खासतौर पर इन्हे आउट सौर्सिंग कर्मचारियों से संबधित जिम्मेदारियां दी गयी है। वे अपना प्रभाव दिखाकर कई अवैध गतिविधियों को अंजाम दे सकते है। इसकी पूरी आशंका नगर निगम में बनी रहती है। उनकी गतिविधियों पर भी प्रशासन की निगाह होनी चाहिए। इसके अलावा तहसील में दलालों के चंगुल से आज तक बाहर निकल नही पाया। पटवारियों और दलालों का गठजोड़ हमेशा से चुनौती बना रहा है।