उत्तराखण्डधर्म-संस्कृति

ब्रह्मचर्य से सीधे संन्यास में प्रवेश करना वीरता: भागवत

स्वामी रामदेव ने सौ संन्यासियों को राष्ट्र को समर्पित किया

हरिद्वार। योगऋषि स्वामी रामदेव ने अपने 29वें संन्यास दिवस पर एक नया इतिहास रचते हुए अष्टाध्यायी, महाभाष्य व्याकरण, वेद, वेदांग, उपनिषद में दीक्षित शताधिक विद्वान् एवं विदुषी संन्यासियों को राष्ट्र को समर्पित किया। इनमें 60 विद्वान् ब्रह्मचारी तथा 40 विदुषी शामिल हैं। साथ ही आचार्य बालकृष्ण ने लगभग 500 नैष्टिक ब्रह्मचारियों को दीक्षा दी। इस अवसर पर सर संघ चालक मोहन भागवत ने कहा कि सबसे बड़ा त्याग नवसन्यासियों के माता-पिता का है, जिन्होंने अपने बच्चे को पाल-पोसकर देश, धर्म, संस्कृति और मानवता के लिए समर्पित कर दिया है।

एक साथ इतनी बड़ी संख्या में संन्यासियों को देश सेवा में समर्पित करना रामराज्य की स्थापना, ऋषि परम्परा तथा भावी आध्यात्मिक भारत के स्वप्न को साकार करने जैसा है। स्वामी रामदेव ने कहा कि संन्यास मर्यादा, वेद, गुरु व शास्त्र की मर्यादा में रहते हुए नव संन्यासी एक बहुत बड़े संकल्प के लिए प्रतिबद्ध हो रहे हैं। ब्रह्मचर्य से सीधे संन्यास में प्रवेश करना सबसे बड़ा वीरता का कार्य है। इन संन्यासियों के रूप में हम अपने ऋषियों के उत्तराधिकारियों को भारतीय संस्कृति तथा परम्परा के प्रचार-प्रसार हेतु समर्पित कर रहे हैं। इससे पहले वेदमंत्रें के बीच देवताओं, ऋषिगणों, सूर्य, अग्नि आदि को साक्षी मानकर सभी संन्यास दीक्षुओं का मुख्य विरजा होम तथा मुण्डन संस्कार किया गया। संन्यास दीक्षुओं ने शोभा यात्रा के साथ वीआईपी घाट हरिद्वार के लाया गया, जहां स्वामी रामदेव व आचार्य बालकृष्ण ने पुष्पवर्षा कर इनका स्वागत किया। स्वामी रामदेव एवं अन्य संतों द्वारा 100 संन्यास दीक्षुओं को शिर पर पुरुषसुक्त के मंत्रों से गंगा जल से अभिषेक कर पवित्र संन्यास संकल्प दिलाया गया। योग गुरु स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने सभी महिला और पुरुष सन्यासियों को अपने हाथों से स्नान कराने के बाद उन्हें भगवा वस्त्र धारण कराया। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी कमंडल से सभी को स्नान करा उन्हें देश में सनातन धर्म के अलग जगाने के लिए शुभकामनाएं दी। आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि आज एक सो ब्रह्मचारी ने संन्यास की दीक्षा नहीं बल्कि सैकड़ों ब्रह्मचर्य ने संन्यास की दीक्षा ली है। यही सन्यासी एक दिन देश में ना जाने कितने लोगों को सन्यास और धर्म और सनातन की रक्षा के लिए प्रेरित करेंगे।

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