उत्तराखण्ड

218 प्रभावित परिवारों को वितरित की गई 3.27 करोड़ से अधिक की धनराशि

जोशीमठ में सर्वेक्षण व अध्ययन में जुटे तकनीकी संस्थान

प्रभावित किरायेदारों को भी 50 हजार रूपए की धनराशि तत्काल सहायता के रूप में की जा रही प्रदान

राहत शिविरों में कक्षों की संख्या 615 से बढ़ाकर कर दी गई है 650

देहरादून। सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने शुक्रवार को जोशीमठ नगर क्षेत्र में हो रहे भू-धंसाव व भूस्खलन के उपरांत राज्य सरकार की ओर से किए जा रहे राहत व बचाव तथा स्थायी-अस्थायी पुनर्वास आदि से संबंधित किए जा रहे कार्यो की मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि जोशीमठ में अग्रिम राहत के तौर पर 3.27 करोड़ रूपये से अधिक की धनराशि 218 प्रभावित परिवारों को वितरित की गई है। इसके अतिरिक्त प्रभावित 8 किरायेदारों को भी 50 हजार रूपये प्रति परिवार के हिसाब से 4 लाख रूपये की धनराशि तत्काल सहायता के रूप में आवंटित की गयी है।

जोशीमठ के नगर पालिका क्षेत्र में 18 प्रसूता महिलाएं है, जो वर्तमान में राहत शिविरों में नहीं है। यह प्रसूता महिलाएं स्वयं के आवासों में रह रही हैं। जिनका निरंतर स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है। राहत शिविरों में 10 वर्ष से कम आयु के 81 बच्चे हैं, जिनका स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है। डॉ. सिन्हा ने बताया कि जोशीमठ में विभिन्न तकनीकी संस्थानों की ओर से किए जा रहे सर्वेक्षण एवं अध्ययन कार्य निरंतर जारी है। सचिव आपदा प्रबंधन ने जानकारी दी कि जोशीमठ में पानी का डिस्चार्ज 250 एलपीएम है। अस्थायी रूप से चिन्हित राहत शिविरों में जोशीमठ में कुल 650 कक्ष हैं जिनकी क्षमता 2919 लोगों की है तथा पीपलकोटी में 491 कक्ष हैं जिनकी क्षमता 2205 लोगों की है। जोशीमठ में राहत शिविरों में कक्षों की संख्या 615 से बढ़ाकर 650 कर दी गई है। अभी तक 863 भवनों में दरारें दृष्टिगत हुई है। सर्वेक्षण का कार्य गतिमान है। उन्होनें जानकारी दी कि गांधीनगर में 1, सिंहधार में 2, मनोहरबाग में 5,  सुनील में 7 क्षेत्र वार्ड असुरक्षित घोषित किए गए हैं। 181 भवन असुरक्षित क्षेत्र में स्थित है। 269 परिवार सुरक्षा को देखते हुए अस्थाई रूप से विस्थापित किए गए हैं। विस्थापित परिवार के सदस्यों की संख्या 900 है। प्रेस वार्ता में अपर सचिव आपदा प्रबंधन, निदेशक उत्तराखंड भूस्खलन प्रबन्धन एवं न्यूनीकरण संस्थान, निदेशक वाडिया संस्थान, निदेशक आईआईआरएस देहरादून, निदेशक एनआईएच तथा निदेशक आईआईटीआर मौजूद रहे।

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