विधान सभा अध्यक्ष की एक तरफा कार्यवाही पर उठाए सवाल
देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा में बैक डोर से भर्ती कर्मचारी अपनी बर्खास्तगी के विरोध में पहली बार सड़क पर उतरे। बर्खास्त कर्मचारियों ने विधानसभा के गेट के बाहर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और धरने पर बैठे। उनका कहना है कि 2016 और उसके बाद नियुक्त कर्मचारियों को बर्खास्त किया गया है। जबकि उससे पहले के जितने भी कर्मचारियों की नियुक्ति हुई है उनको परमानेंट कर दिया गया। सवाल यह उठता है कि जब विधानसभा में राज्य गठन से लेकर आज तक (वर्ष 2000 से वर्ष 2022 तक) सभी नियुक्तियां एक ही प्रक्रिया से हुई हैं तथा डीके कोटिया जांच समिति और विधानसभा ने न्यायालय में अपने एफिडेविट में भी सभी नियुक्तियां को अवैध बताती है तो कार्रवाई वर्ष 2016 के उपरांत नियुक्त कर्मचारियों पर ही क्यों की जाती है। वर्ष 2016 से पूर्व नियुक्त अवैध कर्मचारियों को क्यों बचाया जा रहा है। इस अवसर पर कपिल धोनी, भगवती सानी, दीप्ति पांडे, कुलदीप सिंह, गिरीश चंद्र बरगली, अनिल नैनवाल, मुकेश पंत, प्रदीप सिंह, गोपाल नेगी, धर्मेंद्र सिंह कार्की, अनिल रयाल, ओम प्रकाश, संजय सिंह, अरविंद चमोली, पंकज सिंह धोनी, पूनम अधिकारी, सरस्वती, मोनिका सेमवाल, शगुन बिष्ट, भूपेंद्र प्रसाद, बबीता भंडारी, विजय सिंह चौहान, पूनम अधिकारी सहित अन्य उपस्थित रहे।