राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर भूल गए प्रथम मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी को।

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हां तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे…नित्यानंद स्वामी
देहरादून 08 नवंबर । देवभूमि उत्तरांचल के प्रथम मुख्यमंत्री के रुप में दि०9 नवंबर 2000 को शपथग्रहण करने वाले नित्यानंद स्वामी को आज शासन – प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी पूर्णतया भूल गए।
देवभूमि उत्तरांचल में ईमानदारी, निष्ठा से काम करने वाले, प्रथम मास से राज्य कर्मियों को वेतन प्रदान करवाने वाले,मात्र छः माह में ही राज्य को विशेष श्रेणी राज्य का दर्जा प्रदान करवाने वाले,
मुख्यमंत्री पद की शपथ के बाद सरकारी आवास का त्याग कर अपने दो कमरों में ही रहने वाले नित्यानंद स्वामी ने सर्वप्रथम मित्र पुलिस की अवधारणा को राज्य में धरातल पर उतारने का ऐतिहासिक कार्य किया। मात्र ग्यारह माह बीस दिन के कार्यकाल में पर्वतीय क्षेत्रों से पेयजल, स्वास्थ्य और शिक्षा का कार्य प्रारंभ करने तथा 15 नये डिग्री कालेज तथा 50 से भी अधिक स्कूलों का उच्चीकरण का कार्य करने वाले सर्व सुलभ मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी का नामोनिशान ही साफ कर दिये जाने से असंख्य उत्तराखंड वासियों में रोष व्याप्त है।
एक ओर देवभूमि उत्तराखंड राज्य आंदोलन का बलिदानी संघर्षशील इतिहास पढाना राज्य हित में है, वही राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री ईमानदारी, निष्ठावान समर्पित समाजसेवी, प्रख्यात विधि विशेषज्ञ नित्यानंद स्वामी जी यूं भूला पाना किसी भी प्रकार से राज्य वासियों के गले नहीं उतरता।
किसी भी प्रकार की प्रगति सही मायने में वह प्रगति नहीं होती जो अपनी विरासत को ही भूला दे। श्री नित्यानंद स्वामी जी की अंतिम सांस तक उनके साथ सेवारत रहे उनके विशेष कार्याधिकारी योगेश अग्रवाल ने दुखित मन से उक्त उद्गार मीडिया के माध्यम से सर्वसमाज के समक्ष प्रस्तुत किये।