भगत भूल कर भी मत आना, भारत भू की मांटी में : हलधर

0
303

आज शहीदे ए आज़म सरदार भगत सिंह की जयंती पर उनको समर्पित :–

कविता – कवि और शहीद भगत सिंह
———————————

भगत भूल कर भी मत आना, भारत भू की मांटी में
बापू का भी सपना टूटा ,दीमक लागी लाठी में ।।

नाम शहीदे आज़म है बस, भाषण वाजी नारों में ।
सरकारी फाइल में अब भी, नाम लिखा हत्यारों में ।
महंगाई की बात करोगे, तो गद्दार कहाओगे ।
मंदिर मस्जिद के झगड़े में, बिना बात फस जाओगे
बहुत बुरे हालात हुए हैं,गठबंधन परिपाटी में ।।
भगत भूल कर भी मत आना ,भारत भू की मांटी में ।।1

पट्टे पर आज़ादी आयी, ब्रिटिश ताना बाना है ।
शासन कालों का है लेकिन, आसन वही पुराना है।
संघर्षों को भूले नेता ,और आपकी फांसी भी ।
बलिदानों पर शर्मिंदा है ,हाल देखकर झांसी भी ।
अपने घर में गैर हुए हम, केसर वाली घाटी में ।
भगत भूलकर भी मत आना भारत भू की मांटी में ।।2

शहरी लोगों की कीमत है , बूझ नहीं वनवासी की
एम ए बी ए खोज रहे हैं, नौकरियां चपरासी की
ढेरों में इज्जत लुटती है जय ढोंगी संन्यासी की ।
रीति वही है नीति वही है सरकारी अय्यासी की ।
सारा माल अडानी की या, अंबानी की आंटी में ।।
भगत भूल कर भी मत आना भारत भू की मांटी में ।।3

सत्य अंहिंसा के झांसे में , राम लला थे तम्बू में
भारत मुर्दा बाद लिखा था श्रीनगर और जम्बू में ।
बहुत बड़ी तादात देश में घुसपैठी भी रहते हैं ।
सर से देह जुदा करने की , धमकी अब तो देते हैं ।
कविता कैद लिफाफों में है,”हलधर” भी चौपाटी में ।
भगत भूल कर भी मत आना भारत भू की मांटी में ।।4
हलधर -9897346173