आयुष्मान ने पोंछे आंसूः स्वस्थ किलकारियां व नटखट अदाओं से महके हजारों आंगन।

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– प्रदेश में आयुष्मान योजना के तहत उपचारित हुए 10097 से अधिक 0-4 आयु वर्ग के बच्चे
– बच्चों की गंभीर बीमारियों के उपचार में दांव पर लगती रही है प्रभावित परिवारों की आर्थिकी

देहरादून 13जुलाई । बच्चों की किलकारी व नटखट अदाओें में इतनी उर्जा होती है कि वह विपरीत परिस्थितियों में भी अनुकूल वातावरण बनाने की क्षमता रखती हैं। यही वह वरदान होते हैं जो सूने आंगन को महकाते हैं। बच्चों की रौनक जितनी उल्लासित करती है इनकी अस्वस्थता सबको उतना ही विचलित कर देती है। प्रदेश में घरों के आंगन में लाडलों की इस चहचहाहट को स्वस्थ बनाने में आयुष्मान योजना का भी बड़ा हाथ है, और हो भी क्यों ना, इसके तहत हजारों की तादाद में शून्य से चार बरस के रूग्ण बच्चों को स्वस्थ जीवन जो मिला है।
आयुष्मान योजना के आंकड़ों पर नजर डालें तो अभी तक शून्य से चार वर्ष आयु के 10097 बच्चों का उपचार पूरी तरह से निशुल्क आयुष्मान योजना के तहत हुआ है। पाल्यों को स्वस्थ करने के इन प्रयासों में सरकार के 32.38 करोड़ रूपए खर्च हुए हैं। लेकिन कहते हैं ना, बच्चों की खिलखिलाहट के आगे सब दोयम ही है।
जब से मानव सभ्यता का विकास हुआ तभी से बच्चों के प्रति आकर्षण व लगाव मानव की मूल प्रवृति में देखने को मिला है। और किसी भी परिवार के लिए सबसे अधिक कष्टकारी समय भी वही होता है जब उसकी भावी पीढ़ी कमजोर या फिर अस्वस्थ होती है।
प्रदेश में ही ऐसे कई उदाहरण दिख जाएंगे, जहां गंभीर बीमारी से ग्रसित बच्चे के उपचार में ही पूरे परिवार की अर्थव्यवस्था चौपट हो गई। या फिर उपचार के महंगे खर्च ने मां-बाप व सभी परिजनों को तमाम कोशिशों के बाद भी ताउम्र सिसकने को मजबूर कर दिया।
कमजोर को हौसला देती बात यह है कि जब से आयुष्मान योजना प्रदेश में लागू हुई और प्रत्येक परिवार को प्रतिवर्ष 5 लाख का मुफ्त उपचार और राज्य स्वास्थ्य योजना के अंतर्गत उपचार पर अनलिमिटेड उपचार की व्यवस्था सरकार की ओर से हुई तब से उन पीड़ादायक हालातों से ठीक तरह पार पाया जा सका है। योजना की बदौलत ही आज हरेक आंगन में मस्त किलकारियां व खिलखिलाते बच्चों की चहचहाहट आंनदित कर रही है। अधिकांश घरों में बच्चों के मां-बाप, दादा-दादी, नाना-नानी बुआ, मौसी समेत सभी लोग आयुष्मान का जिक्र आते ही गदगद भाव से शुक्रिया अदा करते हैं।
प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डा धन सिंह रावत भी इस बात पर खास तौर पर जोर देते हैं कि जब सवाल नई पीढ़ी के स्वास्थ्य और समाज की नई कोंपलों के बेहतर पोषण का हो तो जीवनदायनी आयुष्मान योजना की सफलता के प्रति हम सब की जिम्मेदारी तब और भी अधिक बढ़ जाती है।
डा रावत ने कहा कि आयुष्मान योजना निश्चित रूप से संजीवनी का काम तो कर ही रही है, छोटे बच्चों की स्वास्थ्य रक्षा में यह मां के आंचल की तरह है। शून्य से चार वर्ष तक के हजारों बच्चे आयुष्मान ने फिर से सेहतमंद किए हैं यह हमारे लिए बड़ी उपलब्धि है। आमजन तक योजना का लाभ पहुंचे इसकी मॉनिटरिंग के साथ ही योजना में कहीं भी किसी तरह की लापरवाही ना हो, संबंधित अधिकारियों को इसके सख्त निर्देश दिए हैं।

बच्चों की उम्र 0-4
उपचारित बच्चे 10097
बालक 1397
बालिका 8700
खर्च 32.38 करोड़ से अधिक