राजस्थान के बाद महाराष्ट्र में भी पुरानी पेंशन बहाल।

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उत्तराखंड के कर्मचारियों को जगी उम्मीद

देहरादून। पहले राजस्थान और अब महाराष्ट्र सरकार द्वारा भी अपने राज्य कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना की बहाली का एलान किया गया है। वहीं, इस फैसले का उत्तराखंड में भी स्वागत हो रहा है। उत्तराखंड विश्वविद्यालय कर्मचारी महासंघ द्वारा इस फैसले का स्वागत किया गया है। संगठन द्वारा उत्तराखंड की आगामी सरकार से इसे लागू किए जाने की उम्मीद की गई है।
राजस्थान सरकार के इस निर्णय का स्वागत करते हुए संगठन के अध्यक्ष कुलदीप सिंह, वरिष्ठ उपाध्यक्ष दीपक सुंदरियाल, महामंत्री डॉ लक्ष्मण सिंह रौतेला, संयुक्त मंत्री प्रशांत मेहता, सुभाष पोखरियाल एवं प्रवक्ता चंदर सिंह बगियाल ने संयुक्त बयान जारी करते हुए इस निर्णय का स्वागत किया है। उत्तराखंड राज्य में भी इसे लागू करने की उम्मीद जाहिर की है। इसके लिए प्रबल तरीके से संगठन स्तर पर कार्य किए जाने का भरोसा दिलाया।
क्या है नई और पुरानी पेंशन का झमेला।

नई पेंशन योजना शेयर बाजार आधारित है। बाजार की चाल के आधार पर ही भुगतान होता है। बाजार से मिलने वाले रिटर्न पर कोई गारंटी नहीं होती है। पुरानी पेंशन योजना में रिटायरमेंट के समय अंतिम बेसिक सैलरी के 50 फीसदी तक निश्चित पेंशन मिलती है। में रिटायरमेंट के समय निश्चित पेंशन की कोई गारंटी नहीं है।

कब बंद हुई थी पुरानी पेंशन

अप्रैल 2005 के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की केंद्र सरकार ने नियुक्तियों के लिए पुरानी पेंशन को बंद कर दिया था। नई पेंशन योजना लागू की गई थी। केंद्र सरकार के बाद नई पेंशन योजना लागू करने में राज्य भी पीछे नहीं रहे। हालांकि, ये अनिवार्य नहीं था। यूनियन का मानना है कि उस वक्त कर्मचारी इस नई पेंशन योजना को समझ नहीं पाए। उन्हें ऐसा लगा था, जैसे यह योजना सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें पुरानी पेंशन योजना से ज्यादा फायदा देगी। लेकिन ये भ्रम टूटा और पिछले कई सालों से नई पेंशन योजना का विरोध शुरू हो गया।