हरीश रावत की रणनीति ने दिलाई राहुल गांधी की रैली को अपार सफलता।

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देहरादून 17 दिसंबर। उत्तराखण्ड कांग्रेस के शीर्ष नेता व पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत एक बार फिर अपने राजनीतिक विरोधियों पर भारी पड़ते नजर आए। हरीश रावत की रणनीति की बदौलत राहुल गांधी की रैली पूरी तरह से सफल रही। इस रैली ने यह भी साबित कर दिया है कि कांग्रेस आगामी विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ भारतीय जनता पार्टी को हर मोर्चे में कड़ी टक्कर देगी।
उत्तराखण्ड राज्य गठन के समय सूबे में कांग्रेस की हालात बहुत खराब थे। उस समय प्रदेश अध्यक्ष रहते हरीश रावत ने जीर्णशीर्ण हालत से उभारकर प्रदेश में सत्ता की दहलीज तक पहुंचाने का काम किया था। उनकी संगठन में नेतृत्व क्षमता को देखते हुए एक बार फिर से कांग्रेस आलाकमान ने लगभग दो महीने पूर्व आगामी विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव संचालन की कमान हरीश रावत को सौंपी थी। जिस समय चुनाव संचालन की कमान हरीश के हार्थो में आई थी। उस समय कांग्रेस के भीतर गुटबाजी चरम पर थी। ऐसा लग रहा था कि हरीश को भाजपा से कम अपनों से अधिक खतरा है। पर हरीश रावत पूरी तरह से खतरों के खिलाड़ी निकले। उन्होंने पूरी सूझबूझ के साथ एक बार फिर कांग्रेस को एकजुट करने में अपनी पूरी ताकत झोंक दी। जिससे उत्तराखण्ड में बुरे दौर से गुजर रही कांग्रेस को संजीवनी मिलनी शुरू हो गयी। कांग्रेस के शीर्ष नेता राहुल गांधी की रैली को सफल बनाने के लिए भी मुख्य रूप से उन्होंने ही रणनीति तैयार की और प्रदेश की हर विधानसभा से चुनाव लड़ने के इच्छुक दावेदारों को राहुल गांधी की रैली में अपने जनशक्ति दिखाने को कहा। जिससे दूर दराज इलाकों को छोड प्रदेश के हर विधानसभा टिकट के दावेदारो ने भीड़ जुटाकर राहुल गांधी की रैली को अपार सफलता दिलाई। आलम यह था कि रैली समाप्त होने के बाद भी दून के बाहरी जिलों से कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बसें भर भर कर आ रही थी। जिसने सही मायनों में इस रैली को ऐतिहासिक बना दिया। रैली को अभूतपूर्व सफलता तक पहुंचाने में हरीश रावत की सूझबूझ और मैहनत की चारों ओर प्रंशासा हो रही है।