उत्तराखण्ड

राजा विजय सिंह गुर्जर जी की स्मृति में भव्य कार्यक्रम का आयोजन।

देहरादून। गुर्जर भवन जिसको राजा विजय सिंह गुर्जर जी के नाम पर रखा गया है की स्मृति में भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया ।

आज के इस आयोजन में समाज के प्रतिष्ठित महानुभावों ने बड़ चढ़ कर प्रतिभाग किया जिनमें
* मुख्य अतिथि के रूप में गुरुकुल कन्या महाविद्यालय के संस्थापक एवं संचालक ओम प्रकाश गांधी जी
*अति विशिष्ट अतिथि मैं पूर्व DGP हरियाणा कुशल पाल सिंह जी
*साथ ही विशिष्ट अतिथियों मैं
पूर्व उप कुलपति जोली ग्रांट हस्पताल देहरादून डॉक्टर विजेंद्र चौहान
* जिला पंचायत अध्यक्ष हरिद्वार सुभाष वर्मा जी
* पूर्व मुख्य सलाहकार मुख्यमंत्री उत्तराखंड एवं प्राध्यापक आईआईटी रुड़की डॉक्टर नरेंद्र सिंह जी
*संस्थापक एवं संचालक शेमफोड स्कूल देहरादून विजय नागर जी
* अध्यक्ष गुर्जर कल्याण परिषद मामचंद छोककर जी

साथ ही सम्पूर्ण समाज के सम्मानित हुए लोगो ने राजा विजय सिंह गुर्जर जी के बलिदान को याद किया । इस अवसर पर समाज के मेधावी छात्रों को मोमेंटम देकर सम्मानित किया गया साथ ही प्रथम गुर्जर स्मारिका का विमोचन समाज के आदर्श एवं सम्मानित व्यक्तियों द्वारा किया गया । पदक विजेता पैरा ओलंपियन दीपक कुमार एवं हाल में IAS बने बसंत चेची गुर्जर ने अपने विचार समाज के सामने रखे एवं गुर्जर समाज द्वारा दोनो को सम्मानित किया गया ।

गुर्जर राजा विजय सिंह का इतिहास :-

भारत की स्वाधीनता की खातिर सर्वस्व न्यौछावर करने वाला ग्राम कुंजा वर्तमान उत्तराखंड के जनपद हरिद्वार की रूडकी तहसील में स्थित है… सन् 1819 ई. में लंढौरा राज्य के गुर्जर राजा रामदयाल सिंह जिनकी रियासत में 1200 गांव थे, इसी वंश का एक तालुक्का (रियासत) कुंजा बहादरपुर था, जिसका राजा विजय सिंह बना… राजा विजय सिंह ने धीरे धीरे अपनी शक्ति को बढाया और संगठित करना शुरू कर दिया, कहना शुरू कर दिया कि अंग्रेज कौन है, हमारी जमीन और जागीर को सीमित करने वाले… जबतक हमारे बाजुओं में दम है हम अपनी जमीन को कम नहीं होने देंगे… राजा विजय सिंह और उनके प्रमुख साथी कल्याण सिंह (कलुआ) गुर्जर ने फरमान जारी कर दिया… 1.फिरंगियो को देश से बाहर निकाल दो
2.माल गुजारी (भूराजस्व) देना बंद करदो
3.ब्रिटिशों के समस्त राजचिन्हो को मिटा दो
4.तहसील खजानो को हस्तगत करलो
5.पराधीनता का जुआं उतार फेंको
6.क्रान्तिकारी कैदियों को जेल से मुक्त करा दो

इन सबका व्यापक असर हुआ, इस प्रकार प्रथम स्वाधीनता का बिगुल बज गया …
1अक्टूबर सन् 1824 ई. को आधुनिक हथियारों से लैस 200 पुलिस गार्ड्स, तहसीलदार व थानेदार की सुरक्षा में एक बहुत बडा खजाना ज्वालापुर कोषागार से सहारनपुर कोषागार में भेजा जा रहा था जिसे राजा विजय सिंह व सेनापति कल्याण सिंह गुर्जर के नेतृत्व में विद्रोहीयो ने भगवानपुर से पूर्व की ओर ग्राम कलालहटी के पास लूट लिया गया तथा लूटी गई धनराशि से एक हजार जवानों की भर्ती कर ली गई… 3अक्टूबर सन् 1824 ई. को गोरखा पलटन ने राजा विजय सिंह के गढी (किले) पर हमला कर दिया… दिन रात लडाई चलती रही… आखिरकार पहले कल्याण सिंह और बाद में राजा विजय सिंह वीरगति को प्राप्त हुये… साथ ही 152 विद्रोही शहीद हुए… और 41 गिरफ्तार कर लिए गये जिन्हें सुनहरा ग्राम के वटवृक्ष पर फांसी दे दी गई… सेनापति कल्याण सिंह के सिर को काट कर देहरादून जेल के मुख्य द्वार पर लटका दिया गया… और कुंजा गांव को आग के हवाले कर दिया गया… राजा विजय सिंह व कल्याण सिंह ने स्वाधीनता की ज्योति अपने रक्त का बलिदान देकर प्रज्जवलित की थी… सन् 1857 से 33 वर्ष पूर्व वही ज्वालामुखी बन कर विस्फोट कर गई, जिसमें अंग्रेजी हुकुमत का गरूर जलकर राख हो गया था.मीडिया प्रभारी पुनीत चोधरी ने बताया गुर्जर भवन का निर्माण 2 बीघा भूमि मैं हो रहा है जो जनहित के कार्यों के लिए समर्पित होगा ।*उपचार के लिए दूर से आए लोगो के रहने की व्यवस्था* IAS , PCS समेत सभी प्रकार की प्रतियोगी परीक्षा की निशुल्क कोचिंग एवं रहने की व्यवस्था*सभी प्रकार पुस्तकों से परिपूर्ण बहुउपयोगी लाइब्रेरी का निर्माण*सामाजिक कार्य हेतू कैंप एवं चिकित्सा शिविर का आयोजन आदि।आज के कार्यक्रम की अध्यक्षता चौधरी नाथू सिंह जी ने की । गुर्जर चेतना समिति के अध्यक्ष सत्यपाल सिंह जी ने कहा की गुर्जर समाज के उत्थान के लिए समिति निरंतर कार्यरत रहेगी । इस अवसर पर उत्तराखंड सरकार संयुक्त सचिव ओंकार सिंह जी, ब्रिगेडियर सुभाष पंवार जी ,पूर्व CBI वकील बलजीत सिंह जी, सुचेत सिंह जी, रणधीर वर्मा जी ,महावीर सिंह जी ने समाज के लोगो को संबोधित किया । कार्यक्रम का संयोजन रजनीश कसाना जी द्वारा किया गया इस अवसर पर नरेश पाल सिंह , जगत सिंह , ईश्वर पाल सिंह , विरेंद्र सिंह , सोमपाल सिंह , संजय छोक्कर, हरपाल सिंह , लाल सिंह , के पी सिंह , आदि मोजूद रहे

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