रामनगर: तराई के जंगल में खैर के पेड़ों पर खैर तस्करों की गिद्धदृष्टि लग चुकी है। यही वजह है कि रामनगर क्षेत्र में तराई के जंगलों से खैर की लकड़ी का अवैध व्यापार काफी मात्रा में होने लगा है। अब वन विभाग खैर तस्कर पर अंकुश लगाने के लिए उनकी कुंडली तैयार कर रहा है।
खैर की लकड़ी का प्रयोग गाजियाबाद, हरियाणा व मुरादाबाद मेें कत्था बनाने में होता है। बताया जाता है कि खैर की लकड़ी का बाजार भाव अब डेढ़ हजार रुपये प्रति क्विंटल से भी अधिक है। ऐसे में मुनाफा कमाने के लिए खैर तस्कर तराई पश्चिमी वन प्रभाग के जंगल में सक्रिय हो गए हैं। विभागीय रिकॉर्ड के मुताबिक साल 2016 में दो माह के भीतर तस्कर सौ खैर के पेड़ काट ले गए। इसमें से 18 खैर चोरी के मामले पकड़े गए। पकड़े लोगों से 55 हजार रुपये जुर्माना वसूला गया था। डीएफओ बीएस शाही ने बताया कि खैर चोरी के मामले बढ़ रहे हैं। खैर चोरी में पकड़े गए अपराधियों की हिस्ट्रीशीट खोलने की कार्रवाई की जाएगी।
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