रामनगर। वन विभाग तराई पश्चिमी के जसपुर क्षेत्र में एक हाथी का सड़ा-गला शव मिलने से क्षेत्र में हड़कंप मच गया। वहीं वाइल्ड लाइफ वेलफेयर फाउंडेशन संस्था के प्रवक्ता वीरेंद्र अग्रवाल ने वन विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठाया है। उनका कहना है कि वन विभाग द्वारा गश्त में खानापूर्ति की जाती है। वीरेंद्र अग्रवाल ने वाइल्ड लाइफ बोर्ड को पत्र लिखकर जांच की मांग की है।
बता दें कि, जसपुर के तराई पश्चिमी वन प्रभाग की सीमा से सटे उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ रेंज में इलाज नहीं मिलने के चलते एक हाथी ने दम तोड़ दिया। हफ्तों बाद हाथी का सड़ा गला शव रेंज कर्मियों को गश्त के दौरान मिला। हाथी का शव देखकर वन विभाग में हड़कंप मच गया है। घटना की सूचना मिलने पर मौके पर पहुंचे उच्च अधिकारी ने घटनास्थल का निरीक्षण कर हाथी के शव का पोस्टमॉर्टम कराया। बता दें कि, मृत हाथी नर है जिसकी उम्र 4 साल बताई जा रही है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि, हाथी के पिछले पैर में घाव था जिसके कारण वह बहुत ज्यादा मूवमेंट नहीं कर पा रहा होगा और अपने झुंड से अलग हो गया होगा। वहीं, वन विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए वाइल्ड लाइफ वेलफेयर फाउंडेशन संस्था के प्रवक्ता वीरेंद्र अग्रवाल ने कहा कि वन विभाग द्वारा गश्त में खानापूर्ति की जाती है। उनका कहना है कि अगर विभाग द्वारा रेग्युलर गश्त की जाती तो हाथी का शव सड़ी हुई हालत में नहीं बरामद होता। उन्होंने कहा कि इस संबंध में संस्था द्वारा वाइल्ड लाइफ बोर्ड को पत्र लिखकर जांच की मांग की जा रही है। ही पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद ही हाथी की मौत के कारणों का पता चलेगा।
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