पिथौरागढ़: वैश्विक महामारी कोरोना ने दुनियां भर का परिदृष्य बदलकर रख दिया है। जिससे लोग काफी आहत है। कोरोना के चलते इस बार भी विश्व प्रसिद्ध कैलाश मानसरोवर यात्रा आयोजित नहीं हो पाएगी। लगातार दूसरे साल यात्रा बंद होने से जहां श्रद्धालु निराश हैं, वहीं बॉर्डर के ग्रामीणों का रोजगार भी प्रभावित हो गया है।
यात्रा के जरिए जहा सैकड़ों पोनी पोर्टर्स को सीजनल रोजगार मिलता था। वहीं यात्रा के दौरान चार महीने तक सीमान्त क्षेत्र के लोगों का कारोबार भी जमकर फलता फूलता था। मगर पिछले दो सालों से चीन बॉर्डर से सटे गांवों में पूरी तरह सन्नाटा पसरा हुआ है। वहीं यात्रा का संचालन नहीं होने से कुमाऊं मंडल विकास निगम को करीब 5 करोड़ का घाटा झेलना पड़ेगा। भारत और चीन के सहयोग से होने वाली कैलाश मानसरोवर यात्रा लगातार दूसरे साल भी आयोजित नहीं हो पाएगी।
धार्मिक महत्व की ये यात्रा हर साल 12 जून से शुरू होती थी। मगर इस बार अभी तक ना तो यात्रियों के रजिस्ट्रेशन हुए हैं और ना ही कोई प्रशासनिक इंतजाम किए गए हैं। ऐसे में इस साल यात्रा रद्द होना तय है। जानकारों की मानें तो चीन से जारी सीमा विवाद और कोरोना के चलते इस साल भी यात्रा पर ग्रहण लग गया है। हर साल इस यात्रा में हजारों यात्री पिथौरागढ़ होते हुए चाइना पहुंचते थे और बॉर्डर इलाकों में खास चहल पहल देखने को मिलती थी।
मगरयात्रा रद्द होने से सीमांत क्षेत्र के करीब 300 पोनी पोर्टर का सीजनल रोजगार चैपट हो गया है। ये पोनी पोर्टर यात्रा के दौरान सामान ढोकर अपनी साल भर की रोजी-रोटी का जुगाड़ करते थें। यही नहीं यात्रा रद्द होने से सीमांत क्षेत्र के डेढ़ हजार से अधिक व्यापारियों का कारोबार भी प्रभावित हुआ है।
जिनमें आम व्यापारियों के साथ ही हथकरघा, ऊनी उद्योग और जड़ी बूटी उद्योग से जुड़े व्यवसायी भी प्रभावित हुए हैं। यात्रा नहीं होने से सीमान्त क्षेत्र की हजारों की आबादी के आगे रोजी रोटी का संकट भी खड़ा हो गया है। स्थानीय व्यवसायी हरीश राइपा का कहना है कि दो साल पहले तक बॉर्डर के इलाकों में कैलाश मानसरोवर और आदि कैलाश यात्रियों के साथ ही सैलानी भी शिरकत करते थे। जिससे उनका कारोबार भी खूब चलता था। मगर कोरोना महामारी के बाद से यहां व्यापारिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुई है।
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