देहरादून: वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के तीन ग्लेशियर वैज्ञानिकों की टीम सोमवार सुबह तपोवन, जोशीमठ के लिए रवाना होगी।
जो ग्लेशियर टूटा है, वहां पर वाडिया की रिसर्च साइट भी है। हालांकि इस वक्त पर वहां कोई मौजूद नहीं था।
वाडिया इंस्टीट्यूट पिछले लंबे समय से धौलीगंगा, द्रोणागिरी और रेणी गांव के ग्लेशियर पर काम कर रहे हैं।
रविवार को ग्लेशयर टूटने की सूचना मिलते ही वाडिया इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक भी सक्रिय हो गए।
वाडिया इंस्टीट्यूट के निदेशक डा. कलाचंद साईं ने वैज्ञानिकों की बैठक बुलाई थी, जिनमें जोशीमठ से आगे तपोवन क्षेत्र के ग्लेशियरों की स्थित पर चर्चा की गई।मौजूदा परिस्थितियों के बारे में वहां रिसर्च कर रहे वैज्ञानिकों से जानकारी ली गई।
वाडिया इंस्टीट्यूट के जनसंपर्क अधिकारी डा. कौशिक सेन ने बताया कि तीन ग्लेशियर वैज्ञानिक डा. मनीष मेहता, डा. विनीत कुमार और डा. समीर सोमवार तड़के धौलीगंगा ग्लेशियर की पड़ताल करने जा रहे हैं। टीम के मौके पर पहुंचने के बाद ही वहां की यथा स्थिति के बारे में बताया जा सकता है।
फिलहाल जो सूचनाएं आ रही हैं, उसमें ग्लेशियर टूटने की बात सामने आ रही है। उसे लेकर भी बैठक में वैज्ञानिकों ने चर्चा की है।
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