देहरादून। नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की गयी। यहां ब्रह्मा का मतलब तपस्या से है। शास्त्रों के अनुसार ब्रह्मचारिणी का अर्थ तप की चारिणी यानी तप का आचरण के वाली बताया गया है। मां ब्रह्मचारिणी के एक हाथ में जप की माला है और बाएं हाथ में कमंडल है। शास्त्रों के अनुसार नारद जी के आदेशानुसार भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए देवी ने वर्षों तक तपस्या की. अंत में उनकी तपस्या सफल हुई। माता ब्रह्मचारिणी की कृपा से सिद्धी की प्राप्ति होती है। ऐसी मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी की पूजा अराधना करने से भक्तों के सभी बिगड़े काम बन जाते हैं। गौरतलब हैं कि कोरोना संकट के बीच 17 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र शुरू हो गया है। ऐसे में मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाएगी। आमतौर पर देखा गया है कि, कभी ये सात, तो कभी आठ दिन में समाप्त हो जाती है, लेकिन इस बार नवरात्री पूरे नौ दिनों की होगी, पूरे नौ दिन मां के नौ स्वरूप मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री का पूजन किया जाएगा।
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